tag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post6086951582561302905..comments2023-10-21T08:28:12.540-07:00Comments on humsafar: ये किस मोड़ पर ? ..............अंतिम भागvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-72466323760312846022010-06-01T05:38:59.426-07:002010-06-01T05:38:59.426-07:00बहुत बहुत बधाई वंदना ..मार्मिक कहानी की प्रस्तुति ...बहुत बहुत बधाई वंदना ..मार्मिक कहानी की प्रस्तुति के लिए <br>पूरी कहानी बहुत प्रेरणा दायक है..एक औरत की मनोदशा का सुन्दर चित्रण किया है उसके साथ ही पूरे परिवार की स्थिति को भी दर्शाया है.<br>पर अंत बहुत दुखदायी है ,जो मन को बहुत दुःख पहुंचा रहा है.कभी कभी छोटी से गलतिया कितना भयानक परिणाम सामने लती है.और परिवार के एक सदस्य के साथ साथ कितनी और जिन्दगिया तबाह कर जाती है.बेशक इस कहानी से बहुत से लोगो को सबक मिलेगा,की हकीकत और कल्पनाओ मै कितना फर्क होता है "कितनी भी कठिन परिस्थिति हो इन्सान को इतना कमजोर नहीं बनना चाहिए'आत्महत्या जैसा कदम उठाने की बजाय हालत का सामना करना चाहिए और उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए ..<br>हम सब इंसान है और गलतिया किस्से नहीं होती ..निशि से भी हुए ..पर इसके लिए वो अकेली जिम्मेवार नहीं थी ..पूरा परिवार दोषी था ..क्यों नहीं किसी ने उसके अकलेपन को समझने की कोशिश की .?क्यों नहीं किसी ने उसके मन को जानने की कोशिश की..?परिवार का मतलब ही क्या हुआ फिर?अगर परिवार का एक सदस्य भटक भी रहा है तो बाकि का फर्ज होता है उसे मिलकर सम्हालना ...काश सबने निशि को समझा होता तो इतना भयावह अंत नहीं होता उसके जीवन का ...<br>कहानी बहुत खुबसूरत है यथार्थ से पूर्ण है पर .राजीव का चरित्र थोडा और मजबूत होता तो कहानी का अंत बहुत ही सुखद होता ...<br>हम हिन्दुस्तानी है और यहाँ पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही मजबूत और सात जन्मो का होता है ..वो दोनों एक परिवार के सारथि होते है ..<br>हर सुख दुःख के साथी होते हैं ..अगर एक लडखडाये तो दूसरा उसे मजबूती से सम्हाल लेता है ...हिंदुस्तान मै इतना खोखला नहीं होता है पति पत्नी का रिश्ता ...इसलिए इस कहानी मै राजीव के चरित्र से थोड़ी मायूसी हुई ....काश वो थोड़ी समझदारी दिखता .तो निशा भी सम्हाल सकती थी और परिवार भी बर्बाद होने से बच जाता .....<br>ये तो मेरे मन के भाव थे ..पर वंदना ने भी कुछ सोचकर ये अंत लिखा होगा ..जो की एक सबक और प्रेरणादायक है ..उम्मीद है लोग कुछ तो सीखेंगे इस कहानी से..<br>एक बार फिर बहुत बहुत बधाई वंदना .....इश्वर तुम्हारी लेखनी को और प्रशस्त करें........ अपराजिताAparajitahttp://www.blogger.com/profile/16811449486166452111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-37126470107107710402010-04-14T07:27:37.581-07:002010-04-14T07:27:37.581-07:00बहुत बढ़िया लगा! लाजवाब! उम्दा प्रस्तुती!बहुत बढ़िया लगा! लाजवाब! उम्दा प्रस्तुती!Bablihttp://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-55836568624567719472010-04-09T05:23:26.801-07:002010-04-09T05:23:26.801-07:00Sachhaai se paripoorn katha! Is kahanika ant shaya...Sachhaai se paripoorn katha! Is kahanika ant shayad yahi hona tha..yah bhi sach hai,ki, patni jaldi kshama kar deti,purush ka aham bardasht nahi kar pata...shayad..shayad...kshamahttp://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-26156374911923032272010-04-08T23:45:42.452-07:002010-04-08T23:45:42.452-07:00अंत बेहद मार्मिक है.. उम्मीद है यह कहानी बहुत से ल...अंत बेहद मार्मिक है.. उम्मीद है यह कहानी बहुत से लोगो के लिए प्रेरणा बने... पर राजीव के और निशि के दर्द को महसूस करना बहुत ही मुश्किल है यहाँ.. उफ्फ़!!! मौन हूँ....<br>कहानी पसंद आई...<br>मीतमीतhttp://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-30018031123465039462010-04-08T22:33:47.099-07:002010-04-08T22:33:47.099-07:00इतनी अच्छी कहानी के एक अंक को पढकर इंतजार कर पाना...इतनी अच्छी कहानी के एक अंक को पढकर इंतजार कर पाना कठिन था .. इसलिए सारे अंको को आज ही पढा .. भावुकता में उठाए गए कदम किसी भी जीवन को तबाह करने में समर्थ होते हैं .. बेहतर है हम यथार्थ के धरातल पर रहें !!संगीता पुरीhttp://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-29388958862242121722010-04-08T09:08:29.193-07:002010-04-08T09:08:29.193-07:00बताईये, एक भूल के कितने भयावह परिणाम निकले!!सही सी...बताईये, एक भूल के कितने भयावह परिणाम निकले!!<br><br>सही सीख देती कहानी..संयम कितना आवश्यक है जीवन में.<br><br>उम्दा लेखन!Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-75535221226765875622010-04-08T06:18:07.131-07:002010-04-08T06:18:07.131-07:00सच कहूँ तो कहानी के दुखद अंत का आभास मुझे उस वक्त ...सच कहूँ तो कहानी के दुखद अंत का आभास मुझे उस वक्त हो गया था जब मैंने पढ़ा था कि निशा ने चैटिंग पर ही गलत कदम उठा दिया ! अच्छी कहानी !पी.सी.गोदियालhttp://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-67840224017850533482010-04-08T03:29:58.547-07:002010-04-08T03:29:58.547-07:00save kar leta hoon sham ko padhoonga..save kar leta hoon sham ko padhoonga..दीपक 'मशाल'http://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-48606973381609743552010-04-08T02:11:19.336-07:002010-04-08T02:11:19.336-07:00कहानी धारा प्रवाह थी.... अंत ज़रा निराशा जनक रहा...कहानी धारा प्रवाह थी.... अंत ज़रा निराशा जनक रहा....शायद इस रिश्ते की यही नीयती थी...निशि जैसी कुंठाग्रस्त स्त्रियां अक्सर भावुक हो पानी जिम्मेदारियों से दूर हो सकती हैं...राजीव ने भी समस्या से उबरने के लिए सबसे सरल रास्ता अपना लिया...वैवाहिक जीवन में कभी कभी बहुत समझौते करने पड़ते हैं...यदि नायक की सोच को थोडा परिपक्कव दिखाया होता तो कहानी का अंत कुछ अन्य भी हो सकता था....<br><br>लेकिन इस कहानी के माध्यम से एक बहुत बड़ी सच्चाई आपने सबके सम्मुख रखी है....अच्छा हो कि इससे कहानी के द्वारा प्रेरणा ली जा सके....<br>अच्छी कहानी के लिए बधाईsangeeta swaruphttp://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2301159849171674866.post-3782458257431951772010-04-07T23:21:03.363-07:002010-04-07T23:21:03.363-07:00इतनी उत्तम कहानी का अंत इतना दर्दनाक होगा सोचा न ...इतनी उत्तम कहानी का अंत इतना दर्दनाक होगा सोचा न था, कायर होते हैं वो लोग जो ईश्वर की इस अमूल्य रचना को खुद ही समाप्त कर लेते हैं, हमें एक बात आज तक समण् नहीं आई कि आखिर मरने की बात कोई खुद सोच भी कैसे लेता है इस कहानी में राजीव को थोडी सी समझदारी दिखाकर स्थिति को संभाल लेना चाहिए था, खैर अगर एसा होता तो कहानी बनती ही कैसे, बढिया प्रस्तुति वन्दना जीLIMTY KHARE लिमटी खरेhttp://www.blogger.com/profile/11007528828982494611noreply@blogger.com