श्याम मोहन मदन मुरारी
राधे- राधे रटती प्यारी
कृष्ण केशव कुञ्ज बिहारी
रमता जोगी बहता पानी
आनंद कंद मुरली धारी
जमुना जी की महिमा न्यारी
गोविन्द माधव गिरिवरधारी
खोजत -खोजत सखियाँ हारी
आनंदघन अविनाशी त्रिभुवनधारी
कुञ्ज- कुञ्ज में बसे गिरधारी
नटवर नागर छैल बिहारी
रोम- रोम में रमे मुरारी
सुखधाम सुधासम कृष्ण मुरारी
कण -कण में रम रहे रमणबिहारी
Saturday, June 26, 2010
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बंसीवाले तेरे रूप अनेक
ReplyDeleteजय जय श्री कृष्ण
ReplyDeleteदीदी, आपका यह ब्लॉग गागर में कृष्ण प्रेम रूपी सागर सा प्रतीत होता है.....
मेरे ब्लॉग पर उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद
आपका भ्राता
Kitne anoothe roopon ka parichay karaya aapne!
ReplyDeletejai sri krishna....
ReplyDeletemazaa aa gaya is roop ke darshan paa ke...
जै श्रीकृष्ण बहुत सुन्दर भजन है बधाई।
ReplyDeleteश्याम मोहन मदन मुरारी
ReplyDeleteराधे- राधे रटती प्यारी
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बहुत ही प्यारा भजन रचा है आपने!
मुकुट बिहारी के सारे रूपों के दर्शन हो गए..सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमुरलीवाले की महिमा अपार है उसके बिना जीना बेकार है। आपको एक शानदार रचना के लिए बधाई।
ReplyDeletebadhiyaa
ReplyDeleteआजकल कुछ व्यस्तता ज़्यादा है.... फिर भि कोशिश पूरी रहती है..... आपके ब्लॉग को पढने की....आज की यह रचना बहुत अच्छी लगी....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा भजन ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ....