Tuesday, June 1, 2010

सखी री मेरे नैना भये चितचोर

सखी री मेरे
नैना भये चितचोर 

श्याम को चाहें
श्याम को निहारें 
प्रेम सुधा में
भीग- भीग जावें 
मुझ  बैरन के
हिय को रुलावैं 
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर

श्याम छवि पर
बलि -बलि जावें
मधुर स्मित पर
लाड- लड़ावें 
मुझ  बेबस की 
एक ना मानें
सखी री मेरे 
नैना भये चितचोर

श्याम पर रीझें
श्याम को रिझावें
मुरली की धुन पर
बरस- बरस जावें
मुझ बिरहन के
विरह को बढ़ावें
सखी री मेरे 
नैना भये चितचोर

14 comments:

  1. श्री कृष्ण जी की भक्ति से सराबोर
    बहुत ही सुन्दर रचना!
    --
    हम तो इस रस में भीग ही नही गये
    बल्कि नहा लिए!

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  2. कृष्णभक्ति श्रृंखला में लिखी गई ये कविता भी अच्छी बन पड़ी है और भक्ति काल के गीतों की याद दिलाती है.

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  3. ACHCHHI RACHNA
    PADKAR ACHCHHA LAGA

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  4. khadi boli ka achcha upyog kia hai aapne .sundar rachna.

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना

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  6. waah Meera ke padon ki yaad dila di...

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  7. सखी तू तो भयी बावरी री तू तो भयी बावरी...
    कान्हा की प्रीत
    धर चित नयनन को धरे दोस
    सब जाने फिर काहे खोये तू होस,
    नयन बेचारे रोये
    जब उनका सब मान खोये
    अश्रु ना रोक पाये वो निरदोस,

    सखी तू तो भयी बावरी री...
    कुंवर जी,

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  8. भक्ति रस में भीगी बहुत सुन्दर रचना...बिलकुल कृष्णमय हो गए पढते पढते

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  9. वाह!! इस बोली में गीत गुनगुनाकर अच्छा लगा.

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  10. बहुत सुन्दर लिखा है ....शुरू से अंत तक सब कुछ लाजवाब ,,,,पढ़कर बहुत अच्छा लगा ..धन्यवाद

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  11. श्याम पर रीझें
    श्याम को रिझावें
    यही तो लीला है
    सुन्दर रचना

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  12. Kaise madhur,bhaktimay prem se sarabor rachna hai!

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  13. आपका ब्लॉग देखा बहुत ही अच्छा लगा।

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