अपना पता भूलती नहीं
उसका पता मिलता नहीं
नगरी नगरी , द्वारे द्वारे
खोजती फिरूँ प्यारे को
पर उसका ठिकाना मिलता नहीं
कमली बन कर डोलूँ
मन के वृन्दावन में खोजूँ
सांझ सकारे प्रीतम प्यारे
दर्शन को तरसे नैना हमारे
मैं खोजत खोजत हारी
मुझे मिले ना कृष्ण मुरारी
मुझे मुझसे मिला जाओ
इक बार दरस दिखा जाओ
अपना मुझे बना जाओ
प्यारे अपना पता बता जाओ
मुझे मेरा "मैं " भुला जाओ
इक होने का आनंद चखा जाओ
प्रेमानंद में डूबा जाओ
श्याम अपनी श्यामा बना जाओ
ह्रदय की तडपन मिटा जाओ
जन्मो की प्यास बुझा जाओ
सांवरिया इक बार तो आ जाओ
सांवरिया इक बार तो आ जाओ
Monday, August 23, 2010
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कमली बन कर डोलूँ
ReplyDeleteमन के वृन्दावन में खोजूँ
वाह क्या कहने
शानदार रचना ..
हमेशा की तरह भावपूर्ण बढ़िया रचना . रक्षाबंधन पर्व पर बधाई और शुभकामनाये....
ReplyDelete"मन के वृन्दावन में खोजूँ"
ReplyDeleteअच्छे बिम्ब का सुंदर प्रयोग।
श्याम अपनी श्यामा बना जाओ
ReplyDeleteह्रदय की तडपन मिटा जाओ
जन्मो की प्यास बुझा जाओ
सांवरिया इक बार तो आ जाओ
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बहुत ही सुन्दर रचना है!
--
इससे भक्ति-भाव की प्रेरणा मिलती है!
भक्तिरस में डूबी बहुत सुन्दर रचना ....कृष्ण तो छलिया है ...यूँ ही हैरान करता रहेगा :):)
ReplyDeletePhir ek baar tumne" Mai ri,kase kahun...",ye geet yaad dila diya ...bahut sundar likhti ho!
ReplyDeleteप्रिय वंदना जी ,
ReplyDeleteआपकी भाव भक्ति को साधुवाद हैं , कृष्ण जी को तो आपने रिझा ही लिया था पर मेरे जैसे उद्दंड व्यक्ति से कहा दूसरा का प्रेम देखा जाता हैं . तो एक खिलाफत वाली कविता लिख ही डाली . ऐसे बुरे काम करने में तो मैं माहिर हु . भक्ति से समय मिले तो अभक्त की एक भेंट पर नज़र डाले
http://saralkumar.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
बहुत ही सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteहिन्दी ही ऐसी भाषा है जिसमें हमारे देश की सभी भाषाओं का समन्वय है।
भाई-बहिन के पावन पर्व रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDelete--
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/255.html
सुन्दर रचना.
ReplyDeleteवाह! शानदार और लाजवाब रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteसमर्पण का उत्कर्ष प्रशंसनीय ।
ReplyDeleteवन्दना जी ! आपकी रचनाधर्मिता उत्कृष्ट है ।
man ke bhaavon ko sundar shabdo me aapane dhaala hai!...ati sundar kruti,badhaai!
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