श्याम बिन ज़िन्दगी गुजरती नहीं है
राधे नाम बिन ये सँवरती नहीं है
श्याम बिन .....................................
१) पीले पड़ गए हैं ये शाखों के पत्ते -२-
उजड़ गया है ये मधुबन सारा -२-
गोविन्द बिन कुछ भी सुहाता नहीं है
श्याम बिन ..........................................
२) पनघट भी सूने गलियाँ भी सूनी -२-
वो अमुआ के झूले वो मौसम भी भूले -२-
तेरे बिन सांवरिया हम मरना भी भूले
श्याम बिन ............................................
३) वो वंशी की ताने वो यमुना की बाहें -२-
वो कदम्ब की छाहें वो टेढ़ी निगाहें -२-
हर इक याद तेरी भुलाती नहीं है
श्याम बिन .............................................
Wednesday, August 4, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आपकी कृष्ण भक्तिरस में सराबोर भावना को शत-शत नमन!
ReplyDeleteअच्छा भजन है।
ReplyDeleteभक्ति से परिपूर्ण रचना !!
ReplyDeleteनही गुजरती श्याम बिन, इस जीवन की शाम।
ReplyDeleteयही अर्चना-वन्दना, रटना राधे-श्याम!!
बहुत सुन्दर भक्ति रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत ....आनंद आ गया ...लगा सारी गोपियाँ मिल कर गा रही हीं :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भजन ।
ReplyDeleteati sundar geet
ReplyDeleteभक्ति भाव से सराबोर है यह रचना!... कृष्ण के बगैर सब सूना सूना ही है!...अति सुंदर भाव, बधाई!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
keya baat hai
ReplyDelete