गोपियाँ रात रात भर
जाग जाग कर
प्रात: की बाट जोहा करतीं
जल्दी जल्दी दधि मथकर
माखन निकाल छींके पर
रखा करतीं
और कान्हा की बाट जोहतीं
कब कान्हा आयेगे
और उसका माखन खायेंगे
उसका जीवन सफ़ल बनायेंगे
और जब दिन बीता जाता था
तब गोपी का मन घबराता था
बार बार दरवाज़े पर जाती थी
श्याम से आस लगाती थी
कब आओगे मोहन प्यारे
इतनी देर कहाँ लगा दी
दासी का घर
पवित्र ना हो पाया है
कहीं यशोदा ने तो ना रोक लिया है
उनके नौ लाख गऊयें है
माखन की क्या कमी होगी
पर मेरे घर तो वो
कृपा करने को आते हैं
ये सोच खुद को तसल्ली देती है
कान्हा तो बृजवासियों को
सुख देने आये थे
गोपियों की लालसा पूर्ण
करने को ही
माखन चुराकर खाते थे
यह कोई चोरी नही थी
वास्तव मे ये तो गोपियों की
पूजा पद्धति थी जिसे
कान्हा बडे प्रेम से स्वीकारते थे
भगवान की इस दिव्य लीला को
कुछ लोग आदर्श विपरीत बताते हैं
पर नही जानते चोरी का
अर्थ होता है क्या
चोरी वो जो किसी की जानकारी
के बिना अन्जाने मे की जाये
मगर यहाँ तो गोपियो की
जानकारी मे , उनके देखते देखते ही
माखन का भोग लगाते हैं
फिर कहाँ ये चोरी हुई
दूसरी बात
चोरी दूसरे की वस्तु की की जाती है
मगर जब सारा संसार ही
कृष्ण का है तो कोई
अपनी चीज़ की चोरी कैसे करे
माखन चोरी तो प्रभु की
दिव्य लीला है
खुद को भक्तो की
प्रेम अधिकता मे
चोर कहाया है
और ऐसे प्रेम का बंधन निभाया है
माखन चोरी तो
ReplyDeleteप्रभु की दिव्य लीला है
खुद को भक्तो की
प्रेम अधिकता मे
चोर कहाया है और
ऐसे प्रेम का बंधन निभाया है
हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर|
महंगाई का आलम यह है कि माखन कहीं कविता-कहानियों में ही सिमट कर न रह जाए!
ReplyDeleteHar baar kee tarah...kamaal kee rachana!
ReplyDeleteमाखन चोरी तो प्रभु की दिव्य लीला है खुद को भक्तो की प्रेम अधिकता मे चोर कहाया है और ऐसे प्रेम का बंधन निभाया है ...tabhi to sab kayal hain
ReplyDeleteप्रेमी प्यारा,
ReplyDeleteकान्हा न्यारा।
मनोरम प्रस्तुति
ReplyDeleteमाखन चोर का नटखट पन भी गोपियों को बहुत भाता था और यशोदा से शिकायत भी झूट मूट की होती थी । आपके इस लेख ने गोकुल में पहुंचा दिया । सुंदर ।
ReplyDeleteहम तो कृष्ण लीला को एक बार फिर से यहां पढ़ रहे हैं।
ReplyDeletemakhan chor nanadlala ki jai ho...
ReplyDeletemaja aa gaya..
jai hind jai bharat
बहुत सही तरीके से भगवान की लीला को समझा दिया है|
ReplyDeleteसच है जब सब कुछ भगवान का ही है तो वो चोरी कहाँ कर रहे थे |
जय श्री कृष्णा!
सच है जब सब कुछ भगवान का ही है तो चोरी कैसी?
ReplyDeleteजय जय श्री कृष्णा !!
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई !
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
सब प्रभु की लीला है...सबको खुश रखना आसन नहीं है...
ReplyDeleteसुंदर ह्रदयस्पर्शी कृष्ण लीला
ReplyDeleteमनोरम प्रस्तुति,मनभावन पोस्ट ...
मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है ...
चोरी दूसरे की वस्तु की की जाती है मगर जब सारा संसार ही कृष्ण का है तो कोई अपनी चीज़ की चोरी कैसे करे माखन चोरी तो प्रभु की दिव्य लीला है खुद को भक्तो की प्रेम अधिकता मे चोर कहाया है और ऐसे प्रेम का बंधन निभाया है
ReplyDeleteवाह! चोरी की लीला तो अदभुत है.
तभी तो चोरी के जुल्म में कृष्ण
को आजीवन दिल में कैद कर लिया जाता है.
और कृष्ण की याद में कैद करने वाला ही छटपटाता है.