जब देखा कान्हा ने
मैया बहुत थक गयी है
जाकर उसी चबूतरे पर बैठ गये
जिसके दूसरी तरफ़ मैया बैठी थी
बुरी तरह रोते जाते हैं
आंखे मलते जाते है
अंसुवन धार बहाते हैं
काजल सारा मुखकमल पर फ़ैला है
डर से चेहरा ज़र्द हुआ है
धीरे से बोले “मैया”
सुन यशोदा बोल उठी
कहाँ है लाला, सामने आ
मैया तुम थक गयी हो
हाँ , कान्हा थक गयी हूँ
कहाँ है तू सामने आ
मैया मारोगी तो नही
डर- डर कर मीठी वाणी मे बोले जाते है
उधर मैया बोल उठी
ना मेरे लाला
आज तो तेरी आरती उतारूंगी
तू आ तो जा मेरे पास
और दो कदम कान्हा बढे
उधर से दो कदम मैया चली
फिर कहा मैया मारोगी तो नही
ना मेरे लाला
आज तो तेरी पूजा करूंगी
सुन दो कदम कान्हा चले
उधर से दो कदम मैया बढी
फिर कहा , मैया मारोगी तो नही
मैया बोली ना आज तो मै
अपने लाला का श्रृंगार करूंगी
और जैसे ही कान्हा निकट आये
मैया ने जोर से धमकाया
दुष्ट तू ने आज बहुत नचाया है
और ऊखल से दुष्ट का संग किया है
आज तुझे बताती हूँ
सुन कान्हा और डर गये
रो – रोकर धमाल मचाया है
हिचकियों का तूफ़ान आया है
जिसे देख मैया ने विचार किया
कहीँ मेरा बेटा ज्यादा डर गया
तो मुश्किल हो जायेगी
सोच मैया ने छडी को फ़ेंक दिया
और कहा खल का संग किया तूने
तो उसके साथ ही बांधूँगी
फिर ना भाग पायेगा
और जब दधि माखन तैयार कर लूंग़ी
तो लाला को मना लूंगी
ये सोच मैया ने
बांधने का निश्चय किया
जिसे योगियों की बुद्धि
ना पकड पाती है
उसे आज मैया के वात्सल्य ने पकडा है
वात्सल्य की डोर मे
आज परब्रह्म बंधा है
जिसका पार ना किसी ने पाया है
पर जो सब छोड उसकी तरफ़ दौड जाता है
उससे तो वो खुद भी
मुँह ना मोड़ पाता है
और खुद -ब-खुद उसकी
प्रेममयी मुट्ठी में बंध जाता है
अब मैया रस्सी से बांधने लगी
पर रस्सी दो अंगुल छोटी पड़ने लगी
घर की सारी रस्सियाँ ख़त्म हुई
पर कान्हा ना बँधन में आते हैं
देख मैया तनिक विस्मित हुई
यहाँ रस्सी से ना बंधने के
भक्तों ने कुछ भाव बताये हैं
ब्रह्म और जीव के बीच
सिर्फ दो अंगुल का ही फर्क है
जिसे ना वो ज़िन्दगी भर
पार कर पाता है
इसलिए ये दो अंगुल की दूरी में
भटका जाता है
कान्हा में सत्वगुण समाया है
और बाकी दोनों का त्याग किया है
कुछ ऐसे दो अंगुल कम करके
प्रभु ने अपना भाव प्रकट किया है
इधर मैया सोचती है
कान्हा की कमर तो मुट्ठी भर की है
रस्सियाँ सैंकड़ों हाथ लम्बी
फिर भी ना बंध पाता है
जितनी लगाओ
दो अंगुल की कमी ही दर्शाता है
ना कमर तिल मात्र मोटी
ना रस्सी एक अंगुल छोटी
कैसा घोर आश्चर्य समाया है
उधर रस्सियाँ आपस में बतियाती हैं
हम छोटी बड़ी कितनी हों
पर भगवान के यहाँ कोई भेद नहीं
प्रभु में अनंतता अनादिता विभुता समाई है
जैसे नदियाँ समुद्र में समाती हैं
वैसे ही सारे गुण भगवान में लीन हैं
अपना नाम रूप खो बैठे हैं
तो फिर कोई कैसे बंध सकता है
अनंत का पार कैसे कोई पा सकता है
इधर मैया थक थक जाती है
पर कान्हा का पार ना पाती है
जब कान्हा ने देखा
मैया परेशान हुई
तो स्वयं ही रस्सी में बंध गए
मगर भक्तों ने रस्सी में बंधने के भी
कई भाव हैं कहे
क्रमशः ...........
sundar rachna....
ReplyDeleteइस अध्यात्म के कई पहलु हैं। बहुत ही रोचक श्रृंखला।
ReplyDeleteजारी रखे इस महा यज्ञ को.
ReplyDeleteमचे धम ऊधम।
ReplyDeleteबहुत भावमयी,प्रवाहमयी और आनंदमयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteYe rochak shrinkhala bade shauq se padh rahee hun!
ReplyDeletephir wahi mann ko lalchati , rahat deti rachna
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और आनंदित कर देने वाला प्रसंग .....
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
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आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार 22-12-2011 के चर्चा मंच पर भी की या रही है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
माँ के वात्सल्य के आगे तो खुद प्रभु डर कर बांधे हैं ....
ReplyDeleteबह गये हम तो इस लीला में !
ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
उधर रस्सियाँ आपस में बतियाती हैं हम छोटी बड़ी कितनी हों पर भगवान के यहाँ कोई भेद नहीं प्रभु में अनंतता अनादिता विभुता समाई है जैसे नदियाँ समुद्र में समाती हैं वैसे ही सारे गुण भगवान में लीन हैं अपना नाम रूप खो बैठे हैं तो फिर कोई कैसे बंध सकता है अनंत का पार कैसे कोई पा सकता है
ReplyDeleteओह! कमाल है वंदना जी आपका.
आप रस्सियों की भी बातें सुन लेतीं हैं
ये रस्सियाँ क्या हैं,
ज्ञानी ध्यानी भक्त ही हैं
जो परब्रह्म से एकाकार
की बातें करतीं हैं.
आपकी सुन्दर,अनुपम ,भावमय
भक्तिमय प्रस्तुति को सादर
नमन..नमन... नमन.
मैंने एक लंबी चौड़ी टिपण्णी लिखी है इस पोस्ट पर.
ReplyDeleteराम जाने आप तक पहुंची या नही.
नही पहुंची हो तो बताईयेगा.