ओ रे सजन, प्यारे सजन
नखरे वारे सजन
फाग का महिना आ गया है
होरी का रंग भा गया है
तन मन ऐसे भीग रहे हैं
प्रेम रस में सींच रहे हैं
यूँ ना करो बरजोरी
गोरी से न करो ठिठोली
बैयाँ ऐसे ना पकड़ो सजना
रंग अबीर मलो मुख पे ना
ऐसे करो ना बरजोरी
नाजुक कलइयां है मोरी
सजना ऐसे मचल रहे हैं
भाँग सुरूर में अटे हुए हैं
लाज शरम सब ताक पर रखकर
गोरी की चुनरिया भिगो रहे हैं
नयनन की मादक चंचलता
फाग को मधुमास किये है
ओ रे सजन , प्यारे सजन
आज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन
Thursday, February 25, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत बढ़िया वंदना जी। अब होली हो और होश भी हो यह मुश्किल हो जाता है...सुन्दर रचना लिखी है।बधाई।
ReplyDeleteओ रे सजन , प्यारे सजन
ReplyDeleteआज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन
हाँ! होरी की मस्ती में झूम रहे हैं.... हाँ....अब नखरे वारे सजन..... बहुत ही सुंदर कविता.... दिल को छू गई....
होली का त्योहार ही ऐसा होता है!
ReplyDeleteबने रहें हमजोली!
जम कर करें ठिठोली!
यही तो है होली!!
bahut he badhiyaa...
ReplyDeleteहोली है इसलिए ऐसा ही होता है - होली मंगल-मिलन की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteहोली का बहेतरीन विवरण.......बहुत खूब
ReplyDeleteाजकल होली का खूब रंग छाया हुया है। बहुत सुन्दर कविता है बधाई
ReplyDeleteओ रे सजन , प्यारे सजन
आज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन वाह वाह क्या बात है।
फागुन का असर ऐसा ही होता है
ReplyDeleteसुन्दर
बहुत सही !!
ReplyDeleteआप लोगों की इन प्रेम रस में सनी कविताओं ने होली का माहौल बना ही दिया हैं
ReplyDeleteवाह होली पर कितना सुन्दर और प्यारा लिखा है।
ReplyDeleteवैसे इस बार हम भी होली मनाने की सोच रहे है। और अपनी मैडम जी की शिकायत दूर कर रहे है।
क्या पता वो भी ये कह दें।
ओ रे सजन , प्यारे सजन
आज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन
:)वैसे ये वाली पोस्ट तो मैडम जी को भी पढानी होगी।
अरे वाह....नखरे वाले सजन के साथ होली का बढ़िया चित्रण किया है...बिलकुल होली का रंग जम गया...सुन्दर कविता
ReplyDeleteSA RA RA RA RA..........HOLI HAI.
ReplyDeleteAPNI LUGAI, SABKI BOUJAI BHOLI HAI
NAHI DARO NAHI RANGO KI GOLI HAI
SA RA RA RA RA ..........HOLI HAI
..................................
BAHUT KHUBSURAT RACHNA HAI APKI
क्या बात है , आपने तो होली के रंग में सबको सराबोर कर दिया , बहुत ही बेहतरीन पोस्ट ।
ReplyDeletewaah......holi ka rang hi rang hai......holi ki shubhkamnayen
ReplyDeleteओ रे सजन , प्यारे सजन
ReplyDeleteआज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन
सुन्दर कविता से आपने फाग को जिवंत बना दिया.
होली पर आपको भी हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन
होली का एक और रंग दिखा आपके इस ब्लॉग पर...बेहतरीन...
ReplyDeleteनीरज
यह भी खुब रही वन्दनाजी! अति सुन्दर भावनाओ को कविता के माध्यम से उकेरा है।
ReplyDeleteयूँ ना करो बरजोरी
गोरी से न करो ठिठोली
बैयाँ ऐसे ना पकड़ो सजना
रंग अबीर मलो मुख पे ना
ऐसे करो ना बरजोरी
नाजुक कलइयां है मोरी
सजना ऐसे मचल रहे हैं
भाँग सुरूर में अटे हुए हैं
Behad sundar!
ReplyDeleteHoli mubarak ho!
जीवन में मिलें सारी खुशियाँ जिसकी को आपको तमन्ना...होली मुबारक
ReplyDeleteso nice!
ReplyDeleteआप तो फाग के रंग में रंग गयीं ......!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर । रंगारंग शुभकामनाएं
ReplyDelete