Thursday, February 25, 2010

नखरे वारे सजन

ओ रे सजन, प्यारे सजन
नखरे वारे सजन
फाग का महिना आ गया है
होरी का रंग भा गया है
तन मन ऐसे भीग रहे हैं
प्रेम रस में सींच रहे हैं
यूँ ना करो बरजोरी
गोरी से न करो ठिठोली
बैयाँ ऐसे ना पकड़ो सजना
रंग अबीर मलो मुख पे ना
ऐसे करो ना बरजोरी
नाजुक कलइयां है मोरी
सजना ऐसे मचल रहे हैं
भाँग सुरूर में अटे हुए हैं
लाज शरम सब ताक पर रखकर
गोरी की चुनरिया भिगो रहे हैं
नयनन की मादक चंचलता
फाग को मधुमास किये है
ओ रे सजन , प्यारे सजन
आज तो रंग में आ गए हैं
होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
नखरे सारे भूल गए हैं
ओ रे सजन , प्यारे सजन
अब ना रहे ,नखरे वारे सजन

23 comments:

  1. बहुत बढ़िया वंदना जी। अब होली हो और होश भी हो यह मुश्किल हो जाता है...सुन्दर रचना लिखी है।बधाई।

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  2. ओ रे सजन , प्यारे सजन
    आज तो रंग में आ गए हैं
    होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
    नखरे सारे भूल गए हैं
    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    अब ना रहे ,नखरे वारे सजन

    हाँ! होरी की मस्ती में झूम रहे हैं.... हाँ....अब नखरे वारे सजन..... बहुत ही सुंदर कविता.... दिल को छू गई....

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  3. होली का त्योहार ही ऐसा होता है!

    बने रहें हमजोली!
    जम कर करें ठिठोली!
    यही तो है होली!!

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  4. होली है इसलिए ऐसा ही होता है - होली मंगल-मिलन की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. होली का बहेतरीन विवरण.......बहुत खूब

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  6. ाजकल होली का खूब रंग छाया हुया है। बहुत सुन्दर कविता है बधाई
    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    आज तो रंग में आ गए हैं
    होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
    नखरे सारे भूल गए हैं
    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    अब ना रहे ,नखरे वारे सजन वाह वाह क्या बात है।

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  7. फागुन का असर ऐसा ही होता है
    सुन्दर

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  8. आप लोगों की इन प्रेम रस में सनी कविताओं ने होली का माहौल बना ही दिया हैं

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  9. वाह होली पर कितना सुन्दर और प्यारा लिखा है।
    वैसे इस बार हम भी होली मनाने की सोच रहे है। और अपनी मैडम जी की शिकायत दूर कर रहे है।
    क्या पता वो भी ये कह दें।

    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    आज तो रंग में आ गए हैं
    होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
    नखरे सारे भूल गए हैं
    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    अब ना रहे ,नखरे वारे सजन


    :)वैसे ये वाली पोस्ट तो मैडम जी को भी पढानी होगी।

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  10. अरे वाह....नखरे वाले सजन के साथ होली का बढ़िया चित्रण किया है...बिलकुल होली का रंग जम गया...सुन्दर कविता

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  11. SA RA RA RA RA..........HOLI HAI.
    APNI LUGAI, SABKI BOUJAI BHOLI HAI
    NAHI DARO NAHI RANGO KI GOLI HAI
    SA RA RA RA RA ..........HOLI HAI
    ..................................
    BAHUT KHUBSURAT RACHNA HAI APKI

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  12. क्या बात है , आपने तो होली के रंग में सबको सराबोर कर दिया , बहुत ही बेहतरीन पोस्ट ।

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  13. waah......holi ka rang hi rang hai......holi ki shubhkamnayen

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  14. ओ रे सजन , प्यारे सजन
    आज तो रंग में आ गए हैं
    होरी की मस्ती में झूम रहे हैं
    नखरे सारे भूल गए हैं
    ओ रे सजन , प्यारे सजन
    अब ना रहे ,नखरे वारे सजन

    सुन्दर कविता से आपने फाग को जिवंत बना दिया.

    होली पर आपको भी हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन

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  15. होली का एक और रंग दिखा आपके इस ब्लॉग पर...बेहतरीन...
    नीरज

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  16. यह भी खुब रही वन्दनाजी! अति सुन्दर भावनाओ को कविता के माध्यम से उकेरा है।

    यूँ ना करो बरजोरी
    गोरी से न करो ठिठोली
    बैयाँ ऐसे ना पकड़ो सजना
    रंग अबीर मलो मुख पे ना
    ऐसे करो ना बरजोरी
    नाजुक कलइयां है मोरी
    सजना ऐसे मचल रहे हैं
    भाँग सुरूर में अटे हुए हैं

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  17. जीवन में मिलें सारी खुशियाँ जिसकी को आपको तमन्ना...होली मुबारक

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  18. आप तो फाग के रंग में रंग गयीं ......!!

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  19. बहुत सुन्दर । रंगारंग शुभकामनाएं

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