bhut sachhi baat kahi aapne jab tak mai ka saarajy rahta hai uska abhaas hota hai aur jab mai khatm hota hai uska ki vaas dikhta hai saadar praveen pathik 9971969084
अपने भीतर का सत्य खोज पाना आसान नहीं....और इसे बाहर खोज लेना मुमकिन ही नहीं. ५० वीं पोस्ट की बधाई............लेखन को और पचासे प्रदान करें.... जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सही है !!
ReplyDeletebhut sachhi baat kahi aapne jab tak mai ka saarajy rahta hai uska abhaas hota hai aur jab mai khatm hota hai uska ki vaas dikhta hai
ReplyDeletesaadar
praveen pathik
9971969084
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
ReplyDeletecomment moderation किसलिए
ReplyDeleteसोलह आने सही "अहम्" ख़त्म तो इंसान क्या ईश्वर से सरोकार भी संभव है
ReplyDeleteइस परम सत्य के लिए आभार.
ReplyDelete50 वीं पोस्ट की शुभकामनांए.
बहुत खूब वंदना जी , और फिर ऐसा खुदा किस काम का ?
ReplyDeleteहा हा हा बहुत खूब क्या बात कही है बिल्कुल सोलह आने सत्य, बधाई
ReplyDeleteVandana, bahut achhee,gahan rachna hai..aur yah meelka patthar..50...mubarak ho!
ReplyDeleteसुन्दर भाव.....इस " मैं " को ही तो खतम करना बहुत मुश्किल है...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDelete50वी पोस्ट -- इतनी जल्दी
मुबारक हो
"खुदा "
ReplyDeleteही
था
वहाँ
सत्य का बोध कराती रचना!
50वीं पोस्ट के लिए बधाई!
nice
ReplyDeleteवाह.. क्या बात है वन्दना जी । आपने तो आज बहुत सुन्दर रहस्यवादी कविता कह दी जो बहुत ही अच्छी लगी । बधाई और साधुवाद ।।
ReplyDeleteअपने भीतर का सत्य खोज पाना आसान नहीं....और इसे बाहर खोज लेना मुमकिन ही नहीं.
ReplyDelete५० वीं पोस्ट की बधाई............लेखन को और पचासे प्रदान करें....
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
अति सुन्दर सत्य का बोध कराती एक अद्दभुत रचना
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/
this is one of your best...
ReplyDeletecongrats for the 50th one.
५० वीं पोस्ट की बहुत बधाई और नेक शुभकामनाएँ. जल्द ऐसे ही बेहतरीन रचनाओं के साथ शतक पूरा करें.
ReplyDeleteजो पार है
ReplyDeleteपरे है
परात्पर है
वह क्या है ?
सब कुछ पा लेने के बाद
मिलता है
सब कुछ दे देने के बाद ।
वन्दना जी आपने असीम को छू लिया रचना मे ।