कान्हा तुम्हारी याद में कलियाँ पुकारती -२-
काँटों की शैया पर कैसे रातें गुजारतीं
कान्हा तुम्हारी याद में.........................
कान्हा तुम्हारी याद में राधा पुकारती -२-
रो - रो के प्रेम दीवानी जीवन गुजारती
कान्हा तुम्हारी याद में....................
कान्हा तुम्हारी याद में मीरा पुकारती-२-
पग घुँघरू बाँध दीवानी तुमको रिझाती
कान्हा तुम्हारी याद में........................
कान्हा तुम्हारी याद में शबरी पुकारती-२-
राम आयेंगे इस आस में रस्ता बुहारती
कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में गोपियाँ पुकारती -२-
परसों आऊँगा की बाट में रस्ता निहारतीं
कान्हा तुम्हारी याद में .........................
कान्हा तुम्हारी याद में भक्त मण्डली पुकारती -२-
गा - गा के गीत तुम्हारे जीवन गुजारती
कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में दासी पुकारती -२-
नयनों की प्यास को अब कैसे संभालती
कान्हा तुम्हारी याद में ..........................
अध्यात्मिक और प्रेम रस में दूब कर लिखी गई कविता... बहुत उम्दा..
ReplyDeleteवाह...वाह!
ReplyDeleteक्या बात है!
आपने तो इस सुन्दर रचना से हमें भक्ति रस में स्नान करा दिया!
बहुत सुन्दर भक्ति रंग बिखेरे हैं। बधाई।
ReplyDeleteआपकी भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आभार
ReplyDeleteकान्हा तुम्हारी याद में दासी पुकारती
ReplyDeleteनयनों की प्यास को अब कैसे संभालती
वंदनाजी, आपके भक्तिभाव को नमन है.
आपने सूर की याद दिलादी
'अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी
देखन चाहत कमाल नयन को
निशदिन रहत उदासी
अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी'
bahut khoob
ReplyDeleteप्रेम और भक्ति पगी कविता।
ReplyDeleteek bahut hi pyaara geet
ReplyDelete.प्रेम और भक्ति से सजी रचना, सुन्दर भावाव्यक्ति, बधाई ........
ReplyDeleteबड़ा प्यारा लोकगीत रच दिया आपने ....मुझे लगता है ढोलक की थाप में, इसे गाते महिला स्वर , समां बाँध देंगे !
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
भक्तिभाव से परिपूर्ण रचना...बहुत बेहतरीन.
ReplyDeleteradhe radhe....bahut pyara bhajan...
ReplyDeleteभक्ति रस का एक उत्कृष्ट नमुना।
ReplyDeleteBahut hee pyara geet!
ReplyDeleteअति सुंदर कविता, धन्यवाद।
ReplyDeleteभक्ति रस में डूबी अच्छी रचना
ReplyDeleteडूब कर पढ़ा...झूम के गाया.......मन मतंग हो गया|
ReplyDeleteसारे रंगों पर भारी,,,कन्हैया का रंग हो गया
कान्हा के भक्तिऔर प्रेम रस की गागर छलका दी !
ReplyDeleteवहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
बेहतरीन भक्तिभाव से परिपूर्ण रचना... बधाई।
ReplyDeleteसंवेदनाओं को विस्तार देेता है आपका शब्द संसार। अच्छा लिखा है आपने।
ReplyDeleteमैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-शब्दों की सत्ता। समय हो तो पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें।
http://www.ashokvichar.blogspot.com/
बहुत सुंदर प्रेम रस से ओतप्रोत गीत ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा भजन
ReplyDeleteआपकी भक्तिभावना से परिपूर्ण अभिव्यक्ति अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteआपकी भक्तिभावना से परिपूर्ण अभिव्यक्ति अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteBeautiful and spiritual creation !
ReplyDelete.
बहुत प्यारभरी भक्तिमयी गीत .....
ReplyDeleteभक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आभार
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुन्दर कविता पढ़ने को मिला जिसके लिए धन्यवाद! !
ReplyDeleteसुन्दर भजन .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्ति रंग पगी रचना!!
ReplyDelete________________________________
निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
pahli baar aapke blog par aaya. ab soochta hoon ab tak kahan tha main. bahut miss kiya, sundar srajan ke liye badhai. ab lagta hai lagataar aana padega.badhai.
ReplyDeleteMAM AAJ KAL NOKRI TO AASANI SE MILTI NAHI PHIR BHAGWAN JI KESE JALDI MIL JAYENGE INTJAAR TO KARNA HI PADTA HAI NA . . . . . . . . . . . . . . . KAFI ACHI RACHNA, PADHKAR MAN KO ACHA LAGA. . . . . DHANYWAAD . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
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