इधर भोले बाबा को भी भान हुआ
मेरे राम ने कृष्ण अवतार लिया
दर्शन को नैना मचल गए
तुरंत ताज़ा भस्म लगाने लगे
जिसे देख पार्वती मैया
ने जान लिया
भोले बाबा कहीं जाते हैं , ताड़ लिया
जब पूछा कहाँ जाते हो
तो बाबा ने ये कह टाल दिया
कहीं नहीं बस नीलगिरी तक जाते हैं
जानते थे बाबा गर इन्हें बता दिया
तो ये भी जाने की जिद करेंगी
और इनकी जिद का परिणाम
पिछले जन्म में भुगत चुका हूँ
सती रूप मे जब आयी थीं
तब जिद के वशीभूत हो
परित्याग करना पडा
अब लेकर गया तो
जाने क्या नया होगा
इसलिये कह दिया
मगर बाबा ने ना झूठ कहा
बल्कि पहले नीलगिरी
पर ही प्रस्थान किया
वहाँ कागभुशुंडी को साथ लिया
बना विप्र वेश गोकुल में प्रवेश किया
पनघट पर जाकर अलख जगाया है
कागभुशुंडी ने चेले का रूप बनाया है
पनघट पर गोपियों से जा बतियाने लगे
अपने गुरु के गुणगान गाने लगे
अगले पिछले सभी जन्मों का हाल बताने लगे
अंतर्यामी गुरु की महिमा गाने लगे
सुनकर गोपियों का दिल मचल गया
जब से लाला आया है
रोज उपद्रव होता है
सोच यशोदा को खबर
देने का विचार किया
बाबा बैठो ज़रा
यशोदा मैया को बुलवाते हैं
और इक गोपी को यशोदा को
लिवाने भेज दिया
जाकर बोली गोपी
मैया एक जोगी आया है
तेजपुंज दिव्य जोत जगाया है
लाला का हाथ दिखा देना
उसका भाग्य जना लेना
सुनकर यशोदा तैयार हुई
जोगी को यहीं लाने का आदेश दिया
गोपी ने जाकर योगी को बतलाया है
सुनकर जोगी का ह्रदय मचलाया है
प्रभु के दर्शन इतने सुलभ होंगे
ये सोच -सोच इतराता है
जोगी प्रभु प्रेम में मदमाता है
इधर मैया ने दरवाज़ा बंद किया
ये कैसा जोगी आया है
जानने को खिड़की से दर्शन किया
जोगी का रूप देख
मैया का ह्रदय दहल गया
साँप ,कांतर , बिच्छू लटक रहे हैं
बडी जटायें बिखरी पडी हैं
भस्म शरीर पर लगायी है
जिसे देख यशोदा घबराई है
ये किसको लेकर आई है जान गयी
गोपी ने जब दरवाज़ा खोलने को कहा
मैया ने तब ही बाहर का रास्ता बता दिया
मैं ना खोलूंगी ये किसको लायी है
लाला मेरा देखेगा डर जावेगा
जब मैं पगलायी जाती हूँ
वो तो अभी सुकुमार है
सुनकर गोपी मिन्नतें करने लगी
बड़ा पहुँचा जोगी है
मैया को बतलाने लगी
क्यूँकि जोगी की महिमा
वो तो जान गयी थी
पर मैया के आगे उसकी ना एक चली
सुनकर भोलेनाथ घबरा गए
बोले मैया भिक्षा को आया हूँ
सुन मैया थाल भर अनाज ले आई
जोगी बोला नहीं चाहिए ये माई
तब मैया हीरे जवाहरात के थाल भर लायी
देख जोगी बोला क्या करूंगा
इन कंकर पत्थर का मैं माई
तू घबरा मत मैया
मैं पूतना , शकटासुर या
तृनावर्त नहीं हूँ माई
सुन कर मैया का मुख सूख गया
ये तो उनको भी जानता है
जरूर उन्ही के कुल का होगा
बोली बाबा ये सब ले जाओ
जोगी बोला बस मुझे तो मैया
लाला के दर्शन करवाओ
मैया बोली बाबा दर्शन ना करवाऊं
विकट रूप देख तुम्हारा
मेरा लाला डर जायेगा
जोगी बोला मैं तो आज
उसी के दर्शन करूंगा
बोला दर्श लालसा में
बहुत दूर से आया हूँ
सुन मैया बोली
कहाँ से आये हो
मैया मैं कांशी से आया हूँ
सुन मैया बोली
चाहे झाँसी से आओ या कांशी से
मैं ना दर्श कराऊँगी
बाबा बोले मैया दर्श करा दे
बड़ा उपकार होगा
सुन मैया ने मना किया
अब बाबा ने सोचा
मैया - मैया बहुत कर लिया
थोड़ी घुड़की देनी चाही
मान जा मैया नहीं तो
तूने योगी की हठ ना जानी
मैया बोली बाबा यहाँ से
प्रस्थान करो
तुमने भी त्रियाहठ अभी
नहीं है जानी
एक माँ की ममता
नहीं है पहचानी
लग गयी ममता में और भक्त में
बाबा बोला तेरे गाँव के बाहर
आसन मैंने जमाया है
जब तक दरस ना कराओगी
अन्न जल का त्याग किया है
क्रमश:…………
मेरे राम ने कृष्ण अवतार लिया
दर्शन को नैना मचल गए
तुरंत ताज़ा भस्म लगाने लगे
जिसे देख पार्वती मैया
ने जान लिया
भोले बाबा कहीं जाते हैं , ताड़ लिया
जब पूछा कहाँ जाते हो
तो बाबा ने ये कह टाल दिया
कहीं नहीं बस नीलगिरी तक जाते हैं
जानते थे बाबा गर इन्हें बता दिया
तो ये भी जाने की जिद करेंगी
और इनकी जिद का परिणाम
पिछले जन्म में भुगत चुका हूँ
सती रूप मे जब आयी थीं
तब जिद के वशीभूत हो
परित्याग करना पडा
अब लेकर गया तो
जाने क्या नया होगा
इसलिये कह दिया
मगर बाबा ने ना झूठ कहा
बल्कि पहले नीलगिरी
पर ही प्रस्थान किया
वहाँ कागभुशुंडी को साथ लिया
बना विप्र वेश गोकुल में प्रवेश किया
पनघट पर जाकर अलख जगाया है
कागभुशुंडी ने चेले का रूप बनाया है
पनघट पर गोपियों से जा बतियाने लगे
अपने गुरु के गुणगान गाने लगे
अगले पिछले सभी जन्मों का हाल बताने लगे
अंतर्यामी गुरु की महिमा गाने लगे
सुनकर गोपियों का दिल मचल गया
जब से लाला आया है
रोज उपद्रव होता है
सोच यशोदा को खबर
देने का विचार किया
बाबा बैठो ज़रा
यशोदा मैया को बुलवाते हैं
और इक गोपी को यशोदा को
लिवाने भेज दिया
जाकर बोली गोपी
मैया एक जोगी आया है
तेजपुंज दिव्य जोत जगाया है
लाला का हाथ दिखा देना
उसका भाग्य जना लेना
सुनकर यशोदा तैयार हुई
जोगी को यहीं लाने का आदेश दिया
गोपी ने जाकर योगी को बतलाया है
सुनकर जोगी का ह्रदय मचलाया है
प्रभु के दर्शन इतने सुलभ होंगे
ये सोच -सोच इतराता है
जोगी प्रभु प्रेम में मदमाता है
इधर मैया ने दरवाज़ा बंद किया
ये कैसा जोगी आया है
जानने को खिड़की से दर्शन किया
जोगी का रूप देख
मैया का ह्रदय दहल गया
साँप ,कांतर , बिच्छू लटक रहे हैं
बडी जटायें बिखरी पडी हैं
भस्म शरीर पर लगायी है
जिसे देख यशोदा घबराई है
ये किसको लेकर आई है जान गयी
गोपी ने जब दरवाज़ा खोलने को कहा
मैया ने तब ही बाहर का रास्ता बता दिया
मैं ना खोलूंगी ये किसको लायी है
लाला मेरा देखेगा डर जावेगा
जब मैं पगलायी जाती हूँ
वो तो अभी सुकुमार है
सुनकर गोपी मिन्नतें करने लगी
बड़ा पहुँचा जोगी है
मैया को बतलाने लगी
क्यूँकि जोगी की महिमा
वो तो जान गयी थी
पर मैया के आगे उसकी ना एक चली
सुनकर भोलेनाथ घबरा गए
बोले मैया भिक्षा को आया हूँ
सुन मैया थाल भर अनाज ले आई
जोगी बोला नहीं चाहिए ये माई
तब मैया हीरे जवाहरात के थाल भर लायी
देख जोगी बोला क्या करूंगा
इन कंकर पत्थर का मैं माई
तू घबरा मत मैया
मैं पूतना , शकटासुर या
तृनावर्त नहीं हूँ माई
सुन कर मैया का मुख सूख गया
ये तो उनको भी जानता है
जरूर उन्ही के कुल का होगा
बोली बाबा ये सब ले जाओ
जोगी बोला बस मुझे तो मैया
लाला के दर्शन करवाओ
मैया बोली बाबा दर्शन ना करवाऊं
विकट रूप देख तुम्हारा
मेरा लाला डर जायेगा
जोगी बोला मैं तो आज
उसी के दर्शन करूंगा
बोला दर्श लालसा में
बहुत दूर से आया हूँ
सुन मैया बोली
कहाँ से आये हो
मैया मैं कांशी से आया हूँ
सुन मैया बोली
चाहे झाँसी से आओ या कांशी से
मैं ना दर्श कराऊँगी
बाबा बोले मैया दर्श करा दे
बड़ा उपकार होगा
सुन मैया ने मना किया
अब बाबा ने सोचा
मैया - मैया बहुत कर लिया
थोड़ी घुड़की देनी चाही
मान जा मैया नहीं तो
तूने योगी की हठ ना जानी
मैया बोली बाबा यहाँ से
प्रस्थान करो
तुमने भी त्रियाहठ अभी
नहीं है जानी
एक माँ की ममता
नहीं है पहचानी
लग गयी ममता में और भक्त में
बाबा बोला तेरे गाँव के बाहर
आसन मैंने जमाया है
जब तक दरस ना कराओगी
अन्न जल का त्याग किया है
क्रमश:…………
यह कैसा अद्भूत प्रयास है आपका,वंदना जी.
ReplyDeleteआपने तो शिव भोले भंडारी और माता यशोदा
के बीच जबरदस्त जंग ही छिडवा दी है.
अच्छा किया पार्वती मैया को आपने संग नहीं
किया शिव भोले भंडारी के.वर्ना यह जंग देखकर
वे क्या कर देतीं राम ही जाने.
jogi ka itrana ...aha kya subhag drishya
ReplyDeleteरोचक प्रसंग ...भोले भंडारी का यह प्रसंग पहले नहीं पढ़ा कभी ..
ReplyDeleteकृष्ष लीला का एपीसोड अच्छा चल रहा है!
ReplyDeleteयह अंक भी सुन्दर रहा!
बहुत मनमोहक वर्णन .... आभार
ReplyDeleteबहुत ही अलौकिक और दिव्य प्रसंग .........
ReplyDeleteAchchi Prayas... Thanks..
ReplyDeleteVISIT HERE... http://www.akashsingh307.blogspot.com/
सुन्दर रसमयी प्रस्तुति।
ReplyDeleteBikat se bikat warnana sahajtaa se kar letee ho!
ReplyDeleteरोचकता के साथ जिज्ञासा भी बढ़ गई आगे का प्रसंग जानने के लिये.अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी.....
ReplyDeleteआपके इस ब्लाग पर पहली बार हूं। और आपके लेखन का ये भी अंदाज पहली बार देखरहा हूं।
ReplyDeleteवाकई बहुत सुंदर
कृष्ण लीला के प्रत्येक भाग को नियमित रुप से पढ़ रही हूँ.कुछ नई कथायें भी जानने को मिल रही है.आपका यह सराहनीय प्रयास निश्चय ही बहुत से पाठकों को आत्मिक शांति प्रदान कर रहा है.
ReplyDeleteVandana jee namaskaar
ReplyDeletemere dusre blag par bhi to aaye karen kabhi-kabhi
आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
ऐसी लड़ाई होती तो मैंने नहीं सुनी थी - मैया ने दिखने से मना किया था क्योंकि इतने सारे बुरे एक्सपीरिएन्स हो चुके थे - परन्तु यह जंग तो नहीं सुनी थी कभी :)
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