मै तो हर मोड पर
उनको ढूँढा सदा्
होली के बहाने
रंगो को लगाने
ना जाने कौन गली
छुपे हैं सांवरिया
किस बैरन ने
छुपाय लीन्हो
सजनवा हमार
हरण कर लीन्हो
कोई तो पता
बताय दीन्हो
होली म्हारी
सरस कर दीन्हो
टेसू के फ़ूल
कुम्हला गये हैं
अबीर गुलाल भी
रोने लगे हैं
सजन के बिन
मायूस हुये हैं
अब तो पता
बताय दो गुजरिया
फ़ाग को रंग
चढाय दो गुजरिया
हमका सजन से
मिलाय दो गुजरिया
प्रीत रस मे
भीजन दो गुजरिया
हमका सांवरिया से
मिलाय दो गुजरिया
आज प्रेम अटरिया
चढ्न दो बावरिया
होली के बहाने
प्रेम की होली
खेलन दो गुजरिया
श्याम को मेरा
होने दो गुजरिया
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteआपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!
होली मुबारक,
ReplyDeleteविरहण की रचना , वह भी होली के दिन, काहे रूसा दिये।
सुंदर कविता के लिए आभार
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं।
होली रंगों के इस त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeletejai baba banaras................
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रंगों की चलाई है हमने पिचकारी
ReplyDeleteरहे ने कोई झोली खाली
हमने हर झोली रंगने की
आज है कसम खाली
होली की रंग भरी शुभकामनाएँ
वंदना जी, रंग भरे इस पर्व पर हार्दिक शुभेच्छा .....
ReplyDelete"गोद में छोरा और नगर में ढिंढोरा"
ReplyDeleteवाह! वंदना जी वाह! छिपाए रखा है लला को
अपने उर में और ढूंढ रही हो सारे जग में.
"नगरी नगरी द्वारे द्वारे ढूँढूँ रे साँवरिया"
सही कहा है 'बिनु सत्संग बिबेक न होई'
फिर देर किस बात की ,जल्दी से सभी ब्लोगर जन के साथ आ जाईये मेरी इसी पोस्ट पर .आपका भ्रम मिट न जायें तो कहना .
हर मोड़ पर नहीं ज़रा सी गर्दन झुकाइए ...मिल जायेंगे संवरिया ...
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें :):)
Ateev sundar rachana!
ReplyDeleteHoli bahut mubarak ho!
Aur mujhe apna cell# dedo naaaaa!!Sim card delete ho gaya hai!
होली आपके स्वप्न पूरे करे।
ReplyDeleteबंदना जी
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें
manish jaiswal
Bilaspur
chhattisgarh
waah vandna ji virah ke rang ko bhi kya khoob ubhara hai..holi ki bahut bahut shubhkamnayen!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteसुंदर कविता के लिए आभार
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं।
लाजबाब वन्दना जी
ReplyDeleteहोली का एक नया ही रूप !
कहाँ छिपे हैं कान्हा ...गोपियों की भीड़ में होंगे रसिया और कहाँ :):)
ReplyDeleteविरह-व्याकुल प्रेम रचना ....स्वयम को भूल गयी सांवरिया से मिलने की चाह में
ReplyDeleteअति सुन्दर .....
होली में कुछ ऐसा भी होता है....
होली मंगलमय हो ..
bahut sunder lagi aapki rachna ......
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने !
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