आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-
मेरे बिरज मे ना हुई बरजोरी रे रसिया
मै भी प्रेम रंग घोल के बैठी
श्याम मिलन की आस मे बैठी
मुझ संग हुई ना ठिठोली रे रसिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-
श्याम रंग की मै हूँ दीवानी
मीरा सी नाचूँ मस्तानी
मुझ संग होरी ना खेले रे सांवरिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया
अब लग रहा है कि होली का स्पष्ट आगमन हो चुका है।
ReplyDeleteबढ़िया होरी के लिए शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteवाह जी, जय हो...आज बिरज की होरी.
ReplyDeleteवंदना जी ,यूँही रूठी रहेंगी तो मनाने आना ही पड़ेगा श्याम को. विरह अग्नि बहुत तपाती है,लेकिन क्या विरह का अपना आनन्द नहीं है?
ReplyDeleteshyam to bas isi aanand ke diwane hain aisa humne suna hai.
बहुत सुन्दर। होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDelete"आज बिरज मे होरी रे रसिया"....वाह!.उम्दा गीत लगाया है ...आनंद आ गया ..होली की बधाई।
ReplyDeleteवह बहुत खूब लिखा है ! दिल खुश हो गिया जी ! हवे अ गुड डे
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आये !
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मन में होली मचा गई यह छोटी सी कविता.. बहुत बढ़िया... होली की अग्रिम शुभकामना...
ReplyDeleteहोली के रंग में रंगी सुन्दर रचना .
ReplyDeleteहोली आ ही गई
ReplyDeleteपक्के में
गज़ब
अरे वाह तुमने तो बहुत बढ़िया लय और छंदबद्ध गीत रच दिया!
ReplyDeleteअब तो लग रहा है कि होली आ ही गई है!
क्योकि परसों तो आप कह रहीं थी कि कैसे होली खेलूँ और आज रंग में सराबोर हो!
bahut sunder geet brij ko rango se sarobaar kar diya aap ne.
ReplyDeleteअब सब को होली का रंग चढने लग गया धीरे धीरे...
ReplyDeleteआप को होली कि शुभकामनाएँ .....
ReplyDeleteजीवन का हर रंग आप पर सुहाना रहे
वाह....अपन भी राम गए भई होली के रंग में....
ReplyDeleteSundar rachana!
ReplyDeleteHolikee dheron mubarakbaad!
भूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
ReplyDeleteहोली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.