किशोरी जी तुम बिन
चैन ना आये
कान्हा बुलाये
मन भरमाये
तुम बिन चैन ना आये
एक बार दर्शन
करने को
खुद वृन्दावन आये
फिर भी चैन ना आये
तुम्हारे चरणन के दर्शन को
कान्हा भी दौडा आये
प्रेम की गागर
छलक - छलक जाये
चैन ना आये
कान्हा बुलाये
मन भरमाये
तुम बिन चैन ना आये
एक बार दर्शन
करने को
खुद वृन्दावन आये
फिर भी चैन ना आये
तुम्हारे चरणन के दर्शन को
कान्हा भी दौडा आये
प्रेम की गागर
छलक - छलक जाये
प्रीत की रीत
निभा न पाए
तुम बिन चैन ना पाये
कान्हा तुम बिन
चैन ना पाये
तुम बिन चैन ना पाये
कान्हा तुम बिन
चैन ना पाये
चरण कमल पर
बलि बलि जाए फिर भी उॠण
न हो पाए
प्रेम का मोल
कैसे चुकाए
इतना समझ न पाए
किशोरी जी
कान्हा तुम बिन
चैन न पाए
तुम्हरे चरणों में
वास करन को
कान्हा भी अकुलाये
दिव्य प्रेम के
आगे उसकी
एक न चलने पाए
किशोरी जी तुम्हरे
दरस बिन
कान्हा अश्रु बहाये
दरस बिन
कान्हा अश्रु बहाये
पर तुम बिन
चैन न पाए
किशोरी जी तुम बिन कैसे
कान्हा मुरली बजाये
हर पल तुम्हारे विरह में
तड़प - तड़प जाये
पर तुम बिन चैन ना पाए
विरह अगन की तीव्र वेदना
कान्हा को झुलसाये
जो बीती तुम्हरे जीया पर
वो कान्हा खुद पर
सहता जाये
पर तुम बिन चैन ना पाये
किशोरी जी
तड़प - तड़प जाये
पर तुम बिन चैन ना पाए
विरह अगन की तीव्र वेदना
कान्हा को झुलसाये
जो बीती तुम्हरे जीया पर
वो कान्हा खुद पर
सहता जाये
पर तुम बिन चैन ना पाये
किशोरी जी
अब कैसे मिलन हो पाए?
दोस्तों
ये दुर्लभ चित्र मुझे फ़ेसबुक पर कल मिला
तो सोचा आप सबको भी
इसके दीदार कराऊँ
और मन मे जो भाव जागृत हुये
वो आपसे साझा कर रही हूँ
उम्मीद है पसंद आएगा
बहुत सुन्दर रचना कान्हा के मन को चित्रित कर दिया है
ReplyDeletePrem me virah kn adbhut dhan se byan kiya hai.,
ReplyDeletejai hind jai bharat
किशोरी जी तुम बिन
ReplyDeleteचैन ना आये
कान्हा बुलाये
मन भरमाये
तुम बिन चैन ना आये
एक बार दर्शन ...मन मुग्द्ध हो उठा
चित्र तो सच मे दुर्लभ है\ सुन्दर रचना। बधाई।
ReplyDeleteजाने क्यों राधा के लिए कान्हाजी की इस विरह वेदना को देखकर मीरा की याद आ गई.. भाव भीनी भक्ति पूर्ण रचना..
ReplyDeleteसुंदर चित्र से उद्दीप्त भावों से लिखी कविता सुंदर बन पड़ी है.
ReplyDeleteवंदना जी चित्र बेहद बेहद पसंद आया
ReplyDeleteऔर आपकी भाव और भक्ति से पूर्ण अभिव्यक्ति
का भी कोई जबाब नहीं.
आपके राधाजी के चरणों में रम रहें हृदय
को हार्दिक नमन.
आपने मेरी पोस्ट को 'चर्चा मंच' में शामिल किया इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार.
परन्तु,मुझे आपके निर्मल सुविचारों की आनंद
वृष्टि की अत्यधिक अपेक्षा है.कृपया,अनुग्रहित कीजियेगा.
sunder rachna sunder abhivyakti...
ReplyDeleteKanha ke haath mein Radha ka paanv,
ReplyDeletejaise kari dhoop mein sheetal chhanv.
kya tasveer hai ...mera kalakar man bag bag ho gaya aur uspe ye kavita jaise tasveer bol uthi.Bahut badhiya Vandanaji.
इस प्यार का आनंद दुर्लभ है ....शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteभक्ति में समर्पण की भावना से ओत-प्रोत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा!
प्रेम के आगे किसकी चलती है...
ReplyDeleteसुंदर रचना...
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteभक्तिमयी, भावमयी रचना।
ReplyDeleteराधे राधे राधे , बरसाने वाली राधे .....भजन सरीखा आनंद आया जी ..जय हो मुरली मनोहर कृष्ण की जय
ReplyDeleteकृष्ण के हस्तकमल पर राधाजी के पैर बहुत सुन्दर चित्र चुना आपने और फेसबुक से लाकर अपने पाठकों को दर्शन कराने के लिये धन्यवाद । यदि इस भजन को लयवध्द किया जाये तो अति आनन्द दायक होसकेगा गाने वालों के लिये और श्रोताओं को भी
ReplyDeleteभाव भीनी भक्ति पूर्ण रचना|धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव !
ReplyDeleteचित्र में छिपे गहन दर्शन को समझाने के लिए साधुवाद...
ReplyDeleteगीत के भाव अधिक सुन्दर हैं या सम्बन्धित चित्र । वास्तव में दोनों ही बेजोड लग रहे हैं ।
ReplyDeleteवाकई चित्र बहुत उम्दा है और रचना भी सुन्दर बन पड़ी है.
ReplyDeleteNice post.
ReplyDeleteबेहतरीन है।
औरत
की हक़ीक़त Part 1(औरत-मर्द के रिश्ते की एक अनूठी सच्चाई सामने रखने
वाला एक बेजोड़ अफ़साना) - Dr. Anwer Jamal
तुम बिन चैन ना आये ..
ReplyDeleteमनोहारी चित्र और कविता ने मन मोह लिया ...
बहुत सुन्दर !
वंदना जी बहुत सुन्दर चित्र .. कृष्ण की राधा के प्रति समर्पण का उद्दात्त रूप है यह चित्र और उतनी ही सुन्दर है आपकी कविता... काश इस समर्पण को हम समझ पाते आज ... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर...प्रेम की अनूठा उदाहरण....
ReplyDeleteबहुत सुंदर वंदना जी..बहुत ही प्यारा और वाकई दुर्लभ चित्र और रचना भी उतनी ही प्यारी....
ReplyDeletebahut hi sunder bhav luye krisna radha ke prem ko darsaati bhav poorn rachanaa.badhaai aapko.itanaa sunder chitra ki najaren nahi hat rahi.thanks aapka.
ReplyDeleteplease visit my blog and leave the comments also.
बहुत खूब वन्दना जी ;...दूर की कोडी कहाँ से ले आई
ReplyDeleteवाकई चित्र तो दुर्लभ है ही और कान्हा और राधा के प्रेम को जैसे उकेरा है. सारा वातावरण कृष्णमय हो गया. .
ReplyDeleteईश्वर की महिमा और भक्ति भाव से ओत प्रोत है आप की रचना। चित्र तो सच मे दुर्लभ है……. धन्यवाद
ReplyDeleteजैसा फ़ोटो, वैसी ही बेहतरीन रचना,
ReplyDeleteअच्छी लगीं ये पंक्तिया. इस हेतु आपको साधुवाद.
ReplyDeleteअच्छी लगीं ये पंक्तिया. इस हेतु आपको साधुवाद.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना .
ReplyDeleteयदि कोई गा के सुनाता तो इस रचना का पूरा आनंद ले पाते.
ReplyDeleteईश्वर की महिमा और भक्ति भाव से ओत प्रोत रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteवंदना जी ...इस बेचैनी पर दुनिया भर का चैन न्योछावर ....ये बेचैनी मिल जाये तो कहने ही क्या ! बहुत खूब !
ReplyDeletesunder rachna
ReplyDeleteशायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
ReplyDeleteसूचनार्थ