चंचल चंचल रे मना
काहे चंचल होय
श्याम की ब्रजमाधुरी तो
वृन्दावन में होय
धीरज धीरज रे मना
थोडा धीरज बोय
चाहे सींचे सौ घड़ा
ऋतु आवन फल होय
भागे भागे रे मना
काहे भागे रोये
श्याम सुख सरिता तो
मन आँगन में होय
काहे चंचल होय
श्याम की ब्रजमाधुरी तो
वृन्दावन में होय
धीरज धीरज रे मना
थोडा धीरज बोय
चाहे सींचे सौ घड़ा
ऋतु आवन फल होय
भागे भागे रे मना
काहे भागे रोये
श्याम सुख सरिता तो
मन आँगन में होय
निर्मल निर्मल रे मना
निर्मल मन जो होए
श्याम प्रेम का वास तो
वा तन में ही होय
पुराने शब्दों को लेकर सुन्दर गीत रचा है आपने.. बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteसुन्दर भावों से रची सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteभागे भागे रे मना
ReplyDeleteकाहे भागे रोये
श्याम सुख सरिता तो
मन आँगन में होय
........ bahut hi bhawmay kerte ehsaas
भक्ति भाव के हिलोरों से भीगी रचना.
ReplyDeletekya baat hai.........amazing
ReplyDeleteभक्ति रस से सराबोर दोहे पढ़वाने के लिए आभार!
ReplyDeleteसुन्दर भावों से रची सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसुन्दर एवं गेय भक्तिभाव से परिपूर्ण रचना।
ReplyDeleteआनंददायी।
सुन्दर, सरल, कोमल सी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसूर और जायसी के युग में पहुच गए हम , गीत मनभावन है बधाई
ReplyDeleteसुन्दर भावों से रची सुन्दर रचना|
ReplyDeleteKHUBSURAT OR PYARI RACHA LIKHI HAI MAM APNE. . MAN PARSAN HO GYA. . MERA UTSAH BDHANE KE LIYE APKA BAHUT DHANYWAAD. . .
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT
शब्दों की झांझर यूँ बजी कि मन झूम उठा .बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत मनभावन गेय प्रस्तुति !
ReplyDeleteसुन्दर है यह सूफियाना अन्दाज भी
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति वंदना जी
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सार्थक सन्देश देती सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
ReplyDeleteभागे भागे रे मना
ReplyDeleteकाहे भागे रोये
श्याम सुख सरिता तो
मन आँगन में होय ...
आन्तरिक भक्तिमय भावों की सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
बहुत अच्छी कविता !
ReplyDeleteमन के बारे में बताती.
एक सलाह देना चाहूँगा
ReplyDeleteआपके ब्लॉग का बैक ग्राउंड सफ़ेद है, तो इस पे काला रंग के अक्षर ज्यादा सुकून देंगे आँखों को, नहीं तो ये आँखों में चुभते हुए से प्रतीत हो रहे हैं.