ज़रा गौर फरमाइए इधर भी.........कभी कभी मिल जाता है उम्मीद से ज्यादा ...........पता नहीं कैसे हुआ मगर हो गया .........अगर जानना है तो यहाँ देखिये ...........इस लिंक पर
दोस्तों
"क्या संन्यासी या योग गुरु से छिन जाते हैं मौलिक अधिकार?"
ये लिंक है इस आलेख का http://www.mediadarbar.com/%
इस आलेख को मिला है प्रथम पुरस्कार मिडिया दरबार की ओर से .........हर हफ्ते आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में ..........जानिए वो विचार जो मेरे द्वारा प्रस्तुत किये गए .........मुझे नहीं पता कैसे मिल गया .........मुझे तो लगा ही नहीं था कि ऐसा खास लिखा है कि प्रथम पुरस्कार मिलेगा ........अब आप सब खुद पढ़ कर देखिये और बताइए .
लिंक में जाकर देख रही हूं .. बधाई स्वीकार करें !!
ReplyDeleteआपको बहुत सी शुभकामनाएं निश्चित ही लेख प्रसंशनीय है
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteदोनों लिंक्स पर हो कर आई हूँ ..लेख भी पढ़ लिया है ... बहुत बहुत बधाई ... लेख तर्कों पर आधारित है ..सटीक और बढ़िया ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ! दोनों लिंक्स पर हो कर आई हूँ ..लेख भी पढ़ लिया है ...
ReplyDeleteअरे वाह..बहुत बहुत बधाई...लेख भी बहुत सुन्दर लिखा है...एकदम प्रथम पुरस्कार लायक...हमारी मिठाई किधर है..:)
ReplyDeleteआपने कमाल का लिखा है। ऐतिहासिक-पौराणिक संदर्भों का हवाला देकर आपने अपने तर्कों को अधिक बल प्रदान किया है और सारी बातें,और अपने मौलिक विचार बहुत ही सलीके से रखा है। आपको तो मिलना ही चाहिए था प्रथम पुरस्कार!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई वंदना जी| खुशी का यह मौका हमारे साथ शेयर करने के लिए बहुत बहुत आभार| ऐसी तमाम खुशियाँ आप के हिस्से में आती रहें, यही दुआ है|
ReplyDeleteलेख पढ़ कर आ रही हूँ .बहुत अच्छा लिखा है.पुरस्कार तो मिलना ही था.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई.ऐसे ही पुरस्कार लेती रहिये और हमारी मिठाई भेजती रहिये :)
एक सार्थक अलेख...विचारणीय...
ReplyDeleteऔर आपको बधाई.
प्रशंसनीय आलेख , निसंदेह प्रथम पुरस्कार के काबिल ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
शुभकामनाएं वन्दना जी .. आलेख अच्छा है...
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteआप एक बेहतरीन कवियित्री हैं, ये तो मैं बहुत दिनों से जानता हूँ,पर आप अपने विचार भी इतने सधे ढंग से लिख सकती हैं,ये पहली बार देख रहा हूँ.बहुत-बहुत बधाई.
10 NUMBRI KI OR SE APKO BAHUT BADHAI.
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT
bahut bahut badhai vandanaji...
ReplyDeleteइतनी सी बात ना समझा ज़माना...आदमी जो चलता रहे तो मिल जाये हर खज़ाना...इज्ज़त, नाम, शोहरत और पैसा सिर्फ चलने का नाम है...इसी तरह चलती रहिये...शुभकामनाएं...
ReplyDeleteअनलकीली तीन-तीन बार के प्रयास के बावजूद भी दोनों में से एक भी लिंक नहीं खुल रही । बहरहाल बधाईयां तो स्वीकार कर ही लें...
ReplyDeleteयह तो अच्छी खबर है.... बधाई आपको...
ReplyDeleteप्रसंशनीय लेख
ReplyDeleteबधाई- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeletesateek, saarthak evm samyik aalekh...badhai swikaren...
ReplyDeletemediadarbaar me error aa raha tippani shayad prakashit nahi ho saki hai.....
बहुत बहुत बधाई ...आपना कीमती टाइम निकल कर मेरे ब्लॉग पर आए !
ReplyDeleteडाउनलोड म्यूजिक
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बहुत सुन्दर, सार्थक और विचारणीय आलेख! आपको हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
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