तेरी ख़ामोशी
जब बातें करती है
मुझसे
बस वहीं धडकनें
रूक जाती हैं
जो तुझसे
नहीं कह पातीं
वो अफसाने
मेरे कानो में
बयां कर जाती हैं
कभी तेरा
तितलियों सा
उड़ना
कभी तूफ़ान सा
मचलना
कभी खग सदृश
आकाश में उड़ना
कभी यादों के
कटहरे में
सजायाफ्ता
मुजरिम सा
खामोश ठहर जाना
कभी मेघों सा
गरजना
कभी वेणी में गुंथे
पुष्पों सा महकना
और फिर कभी- कभी
कांच की तरह टूटे
ख्वाबों सा तेरा टूटना
कभी किसी
रुके दरिया सा
ख़ामोशी का सन्नाटा
कभी आँख से गिरे
अश्क सा मिटटी
में मिल जाना
तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने
Thursday, March 4, 2010
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waah bhaut hi khubsurat...bahut sundarta se abhivyakt kia hai aapne ahsason ko.
ReplyDeletesach bat hai khamoshi he khamoshi ke sath bahut kuch kah jate hai. . . . ik bahut aache kavita ke liye dher sari badhai
ReplyDeleteक्या बात है , बहुत खूब लिखा है आपने , लाजवाब अभिव्यक्ति लगी , शब्दो का संयोजन भी काबिले तारिफ रहा ।
ReplyDeletejab ham khamosh hote hei to ankhen bat karti hei......khamoshi sab kuch keh jati hei...achi lagi kavita
ReplyDelete"तेरे हर पल
ReplyDeleteहर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे"
वाह वाह - पता नहीं "तेरी ख़ामोशी" जैसे कितने नगीने संजोये रखे हैं आपने अपने "कविता-खजाने" में - शानदार कविता के लिए बधाई.
सच में वंदना जी अंतस से अंतस का भाव समझने की योग्यता तभी आ सकती है ,, जव द्वैत होते हुए भी दो जान एकिकार हो ,,,मिलन की महत्ता समेटे अद्भुद रचना
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सच में वंदना जी अंतस से अंतस का भाव समझने की योग्यता तभी आ सकती है ,, जव द्वैत होते हुए भी दो जान एकिकार हो ,,,मिलन की महत्ता समेटे अद्भुद रचना
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
वाह वाह!! बहुत बेहतरीन खामोशी की जुबां.
ReplyDeleteKhamoshi itna kuchh kah sakti hai to samvedansheel manhi use sun sakta hai!
ReplyDeleteखामोशी जब कहती है तो बहुत कुछ कहती है.
ReplyDeleteसुन्दर भाव
बहुत ही सहज रूप में शब्दों को पिरोया है ....लाजवाब अभिव्यक्ति है !!
ReplyDeleteCONGRATES VANDANA...
ReplyDeletebahut sundar rachna....sundar abhivyakti.....shabdo ka sundar samanvay......sach hi kaha kisi ne SILENCE SPEAKS MORE THEN WORDS.....
tumhari is rachna ne in shabdo ko sabit kar dia...congrates again...
शानदार शब्द-संयोजन और उसमे अनुस्यूत भाव अपना व्यापक प्रभाव छोड़ते हुए.... वंदनाजी, एक अच्छी रचना पाठक से स्वयं संवाद करती है खामोशी से... ! आभार !!
ReplyDeleteसाभिवादन--आ.
बता फिर कैसे
ReplyDeleteकोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने
वाह!
bata phir kaise koi zinda rahe, aur dhadkanon ki awaz sune. wah kya baat hai, vandana ji , bahut sade shabdon men ..............wah.
ReplyDeleteलाजवाब अभिव्यक्ति के साथ.... बहुत सुंदर रचना....
ReplyDelete...सुन्दर भाव ...सुन्दर रचना ...खूबसूरत अभिव्यक्ति!!!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव को प्रस्तुत करने में कोई कमी नही की आपने..जितने सुंदर भाव उससे बढ़ कर सुंदर शब्द जो भाव को रूप दिए है....कविता बहुत अच्छी लगी..बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना प्रस्तुत किया है! बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteVandna ji behatreen lagi ye kavita bhi.. aapki lekhni me paripakvata aa chuki hai, kyonki prem kavitayen lekhnee ko dhaar dene ka kaam karti hain ab is dhardar qalam ko anya samvednayon, darshan aur samaz par chalaiye.. :)
ReplyDeleteवन्दना जी
ReplyDeleteआपने तो खामोशी की परिभाषा ही बयां कर दी बहुत सुन्दर रचना
सुमन’मीत’
तेरी खामोशी
ReplyDeleteजब बातें करती है
तो ना जाने क्या क्या कह देती है....बहुत खूबसूरती से धडकनों को बुना है ....सुन्दर अभिव्यक्ति
bahut hi khoobsurat rachna,kabhi kabhi khamoshee bhi bahut kuchh kah jaati hai,,
ReplyDeleteVIKAS PANDEY
http://vicharokadarpan.blogspot.com/
atulneey abhivykti.
ReplyDeleteWaah! bahut hi sundar behad dilkash khamoshi ke rup bayaan kiye aapne pad kar mugdh ho gae ...Aabhar!!
ReplyDeletehttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
बेहद खूबसूरत कविता !
ReplyDeleteखामोशी स्वयं में एक अभिव्यक्ति है, जिसमें पिरोया है सब कुछ !
आभार ।
Behad sundar Abhivyakti hai....!!
ReplyDeleteAapko pahale bhi comment ka try kiya tha lekin ho nahi paya ...yakin maniye bahana nahi hai:)
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत लाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब बेहतरीन लिखा है आपने ख़ामोशी की भी अपनी एक अदा है शुक्रिया
ReplyDeletechalo sunte hain dhadkanon ko
ReplyDeletejo tham gai hai baat dil tak
uske raaj kholen
khamoshi kitni saari juban jaanti hai!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeletebahut khub !!!!badhaai ....
bahut pasand aayi aapki khamoshi ki aawaaz..
ReplyDeletesundar si kavita hai ye..
bahut pasand aayi aapki khamoshi ki aawaaz..
ReplyDeletesundar si kavita hai ye..
सुंदर रचना, आपको बधाई
ReplyDeleteसच है खामोशी की ज़ुबान होती है ... सन्नाटे में भी उनकी चीख सुनाई देती है ... अच्छा लिखा है बहुत ही ...
ReplyDeleteteri khamosee bahoot khoob rahi
ReplyDelete.
ReplyDeleteकाफी गहरे विचार। बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
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