आ जा
अब तो
एक बार
तड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
बिन आंसू के
रोती हूँ
तुझ बिन
कैसे जीती हूँ
जानता है
तू भी
मगर फिर भी
मुझे तड़पाकर
कितना सुकून
तुझे मिलता होगा
ये पता है मुझे
अहसास सिर्फ
अहसास होते हैं
उनका नाम
नहीं होता ना
इसीलिए
तुझे अहसास
नाम दिया
और तूने
उसे सार्थक
कर दिया
अहसास बनकर
आया ज़िन्दगी में
अहसास सा
वजूद पर
छा गया
उस अहसास
की तड़प
तडपाती है
जो नही
कहना चाहती
वो भी
कह जाती है
अब तो आ जा
यार मेरे
अहसास का भी
अहसास अब तो
तड़पाता है
मत इम्तिहान ले
मेरे अहसास का
कहीं आज
धडकनें रुक
ना जायें
तेरे दीदार की
हसरत लिए
ना दफ़न
हो जायें
अब तो
आ जा
एक बार
बस एक बार.........
Wednesday, March 10, 2010
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उम्मीदों की खालिश जमीन पर,,,
ReplyDeleteखड़ा हूँ निशब्द होकर,,
बड़ी संजीदगी से,,,
दफ़न कर रहा हूँ ,,,
तेरे हर अहसास को,,,
गोया अहसास अहसास ही तो है ,,,
फिर भी क्यूँ नहीं होने देता ,,
अहसास तेरे अहसास का
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
बहुत मार्मिक है
ReplyDeleteकरुणा की पुकार!
अब तो आ जा
एक बार!
हमको तुमसे है
बेइन्हा प्यार!
कहीं ऐसा न हो
कि
हो जाये
चाहत की हार!
बहुत सुन्दर रचना!
वाह! वंदना जी वाहा ! यह तो मेरे लिये सोने में सुहागा हि हुआ कि आपकी पोस्त तुरंत हि पढने को मिली.
ReplyDeleteतड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
बिन आंसू के
रोती हूँ
तुझ बिन
कैसे जीती हूँ
वैसे आपकी यह रचना हम दिल वालो के जीवन के करीब है जिसे मै महसूस कर सकता हु. महसूस कर पढने के बाद रचना के एक एक शब्द मानो जीवन में उदासी कि व्याख्या कर रहे है. उम्म्न्दा रचना ! आभार
hindi bhasha v devnagri lipi me likhi rchna ka pivesh bhi bhartiy hi hona chahiye
ReplyDeleteprtyek shbd ka apna sanskriti privesh hota hai us ki lkshna hi us ka vastvik aarth hoti hai
bhartiy bhkti dhara me khin bhi yar shbd ka pryog nhi hai yh shbd hi bhut bad me aaya hai
is bat ko ghrai se smjhna jroori hai is liye shbd hi rchna ko bhotik v aadhyatmik bnate hai
aakhndiya jhain pdi pnth nihar 2 vo hi schhi lgn lgi aur vo aa bhi gaya aata hai aayega bhi
dr.ved vyathit
एहसास , यही तो है जो रहता है हर वक्त दिल के पास तन्हाई में । बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति लगी ।
ReplyDeleteइंतज़ार कीजिये ! इंशा अल्लाह ज़रूर आऊंगा !! कभी न कभी, कहीं न कहीं !!!
ReplyDeleteबहूत खुबसूरत रचना !!!
सलीम ख़ान
itni gahri pukaar, kaun hoga itna nirmam jo naa aaye
ReplyDeleteआ जा
ReplyDeleteअब तो
एक बार
तड़प की
हर हद
पार हो चुकी है
एक बार
बस एक बार.........
vaah..... kuchh aisa hi maine bhi likha..
lekin aap itna sundar shabd na de sakaa.....
बहुत ही मरम्स्पर्षि रचना.
ReplyDeleteरामराम.
अतुल्य पक्तियां,प्रेम की हदों को छू गयी ये कविता,बेहद अच्छी रचना
ReplyDeleteविकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
fir ek sundar rachna strisahaj bhavnaon se judi ....
ReplyDeletebahut bhavnatmak kavita hai....hriday ki byakul pukar hai...achha laga
ReplyDeleteअहसास तो सदा साथ रहता है , अहसास के सहारे तो जीवन बिताया जा सकता है .......बहुत अच्छी रचना है !!
ReplyDeletegazab ke tadap hai vandna jee aapke is rachna main, shabdon ko ik sutra main pirone ke kala ke liye dher sare shubhkamnayen
ReplyDeletegahari pukar ..marmsparshi rachna.
ReplyDelete... sundar rachanaa!!!
ReplyDeleteएक बार
ReplyDeleteबस एक बार.........
मनुहार और एहसास की यह रचना बहुत खूबसूरत
पुकार की चरम सीमा इसलिए उसे आना ही होगा - धन्यवाद्
ReplyDeleteVakai,ab to aa hi jaana chahiye.
ReplyDeleteVakai ab to aa hi jaana chahiye...
ReplyDeletekitna marmik chitran kiya he apne tadapte ehsaso ko...dil ko chhu gai..bhagwan aapki manokaamna jaldi puri kare.
ReplyDeleteबहुत ही वेदना झलक रही है ....भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut sundar gahan bhav liye aapki yah rachana virah me dil se nikali tis lagati hai ....bahut sundar!
ReplyDeleteAap nirantar ek sundar kavya sangrah ki or badh rahi hain..
ReplyDeletebadhai...
वन्दना अच्छी कविता है, लेकिन हमारी उम्र की नहीं है तो हम क्या कह सकते हैं?
ReplyDeletebahut hi karun pukaar...ek marmsparshi rachna...
ReplyDeleteवन्दना इतनी वेदना? बहुत मार्मिक रचना है । क्या कहूँ शुभकामनायें
ReplyDeleteदर्दनाक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर कविता को.बहुत सुंदर
धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!
ReplyDeletedwar par nazren tiki hain aane wale aa bhi jaa.
ReplyDeleteman ke bhavon ki sunder abhivyakti.
अब तो आ जा
ReplyDeleteएक बार!
हमको तुमसे है
बेइन्हा प्यार!
कहीं ऐसा न हो
कि
हो जाये
चाहत की हार
सुन्दर भाव.
bahut sundar vandna ji!
ReplyDeleteप्यार की ये कैसी तडप है । विरह के आक्रोश को कोमल शब्दों में ढालती रचना ।
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