निशि की सुन्दरता पर मुग्ध होकर ही तो राजीव और उसके घरवालों ने पहली बार में ही हाँ कह दी थी . दोनों की एक भरपूर , खुशहाल गृहस्थी थी . राजीव का अपना व्यवसाय था और निशि को लाड-प्यार करने वाला परिवार मिला. एक औरत को और क्या चाहिए . प्यार करने वाला पति और साथ देने वाला परिवार. वक़्त के साथ उनके दो बच्चे हुए . चारों तरफ खुशहाल माहौल . कहीं कोई कमी नहीं . वक़्त के साथ बच्चे भी बड़े होने लगे और परिवार के सदस्य भी काम के सिलसिले में दूर चले गए . अब सिर्फ निशि अपने पति और बच्चों के साथ घर में रहती . धीरे- धीरे राजीव का व्यवसाय भी काफी बढ़ गया और वो उसमें व्यस्त रहने लगा. निशि के ऊपर गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी छोड़ राजीव ने अपना सारा ध्यान व्यापार की तरफ केन्द्रित कर लिया . इधर बच्चे भी अब कॉलेज जाने लगे थे तो ऐसे में निशि के पास कोई खास काम भी ना होता और सारा दिन काटने को दौड़ता. उसे समझ नही आता कि वो सारा दिन क्या करे, एक दिन उसके बेटे ने ही उसे बताया की नेट पर चैट किया करो तो आपका मन लगा रहेगा और वक़्त का पता भी नही चलेगा . उसके बेटे ने उसे सब कुछ सिखा दिया . अब तो निशि को दिन कहाँ गुजरा ,पता ही ना चलता . धीरे -धीरे अपने नेट दोस्तों के माध्यम से उसने और भी कई साईट ज्वाइन कर लीं अब तो इस आभासी दुनिया में उसे कई दोस्त मिल गए . नए -नए लोगों से बातें करना उसे अच्छा लगने लगा .
निशि जब भी कंप्यूटर पर चैट करने बैठती उसे देखते ही ना जाने कितने मजनुनुमा भँवरे आ जाते उससे बात करने क्यूंकि वो थी ही इतनी खूबसूरत कि यदि कोई उसे एक बार देख ले तो बात करने को उतावला हो जाता. खुदा ने बड़ी फुरसत में उसे बनाया था . हर अंग जैसे किसी शिल्पकार ने नफासत से गढा हो . शोख चंचल आँखें यूँ लगती जैसे अभी बोलेंगी. लबों की मुस्कान तो देखने वाले का दिल चीर देती थी. उस पर संगमरमरी दूधिया रंग और गुलाबी गालों पर एक छोटा सा काला तिल ऐसा लगता जैसे भगवान ने नज़र का टीका साथ ही लगाकर भेजा हो. ऐसी रूप -लावण्य की राशि पर कौन ना मर मिटे और ऐसे रूप -रंग पर किसे ना नाज़ हो. ऐसा ही हाल निशि का था. जब भी कोई उसकी तारीफ करता , उसके सौंदर्य का गुणगान करता तो वो इठला जाती उसका अहम् संतुष्ट होता. उसे अपने सौंदर्य की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता और उम्र के इस पड़ाव पर भी वो किसी भी नज़रिए से इतने बड़े बच्चों की माँ नही लगती थी ऐसे में प्रशंसा के मीठे बोल तो सोने पर सुहागा थे और कंप्यूटर की आभासी दुनिया तो शायद इस काम में माहिर है ही . ......................
क्रमशः ...................
Tuesday, March 30, 2010
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ACHI JANKARI
ReplyDeletehttp://kavyawani.blogspot.com/
SHEKHAR KUMAWAT
aachi kahane hai, ab krmsha hone par man agle epsode ke liye betab hai
ReplyDeleteआज कि सच्चाई को बयां करती हुई कहानी...अब आगे देखें क्या होता है????
ReplyDeleteकहानी मनोरंजक दिशा में जा रहे है वंदना जी, कुछ टंकण त्रुटियाँ है जैसे पति की जगह अति लिख दिया है, उन्हें ठीक कर ले !
ReplyDeleteआजकल गृहणियों की अच्छी संख्या ब्लॉग्गिंग में लगी है. अच्छा है. घर में बैठे कुंठा ग्रसित होने के अपनी सृजनात्मकता को प्रकट कर रही हैं. प्रोफाइल पर सुन्दर सा छाया चित्र देख कर टिप्पणियां भी बरसती हैं. ब्लॉगर का मन प्रसन्न हो जाता है.
ReplyDeleteवंदना जी शुरू आत तो बहुत अच्छी की बहुत प्रवाह के साथ कहानी आगे बढ़ रही है अगली कड़ी का इन्तजार है
ReplyDeletesaadar
praveen pathik
9971969084
दिलचस्प कहानी है आगे की कड़ी का इंतजार है ...आभार
ReplyDeleteyathaarth byaan karati kahaani , aage vahi huaa hoga jo har roz padhane sunane ko milata hai aur jisaki kalpana ham kar sakte hai
ReplyDeleteअरे वाह----!
ReplyDeleteकहानी के लिए आपने बहुत ही सुन्दर प्लॉट चुना है!
इस अंक में रोचकता अन्त तक परिलक्षित होती है!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।
ReplyDeletegood story...
ReplyDeleteYatharth ko ingit karta lekh..
ReplyDeleteBahut badhai