अँधा हूँ मगर
आँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये
किसी को
गूंगा हूँ मगर
जुबान वालों को
शब्द बेचता हूँ
शायद कोई जुबाँ
के ताले खोले
कोई तो सत्य
की चादर ओढ़े
बहरा हूँ मगर
कान वालों को
गीत सुनाता हूँ
शायद सुनकर
किसी का तो
खुदा जगे
कोई तो वक़्त की
आवाज़ सुने
Saturday, March 13, 2010
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आज तो बहुत ही सुन्दर शब्द चित्र लगाए हैं!
ReplyDeleteसोचने को विवश करते हैं!
काश कि इनकी भाषा सब समझ सकें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना । आभार
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें.
Sanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
अँधा हूँ मगर
ReplyDeleteआँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये
किसी को
वंदनाजी
सुंदर बाते शब्दों के माध्यम से आपने कही है. अच्छी रचना के लिए आभार!
आपका अपना
महावीर बी सेमलानी
अँधा हूँ मगर
ReplyDeleteआँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये
किसी को
बहुत सुन्दर, इस समाज को आईने की सख्त जरूरत है
बेहद सुन्दर व भावपूर्ण रचना लगी ........
ReplyDeletewaah......bahut hi badhiyaa, jagane ka mul mantra
ReplyDeletewaah kya baat hai vandna ji
ReplyDeletedhimi he sahi par kraanti to laaaunga ,,,,
rookte hi sahi par lax to paaunga ,,,
vo laakh mukre apne vaado se ,,,
par mai har pal yaad dilaaunga ,,,
saadar
praveen pathik
9971969084
Kya baat hai....achhi rachna hai!
ReplyDeleteमैंने कल सही कहा था ना कि आप बहुत ही उम्दा लिखने लगी है। उसका एक उदाहरण इस रचना में मिल रहा है।
ReplyDeletevandana ji,
ReplyDeleteis bar bhi aapne kamaal likha hai...
bahut he badhiya..
बहुत सुन्दर भाव.....सच कितने अंधे,गुने और बहरे हो गए हैं हम लोग....
ReplyDeleteविचारणीय रचना...बधाई
विचारोत्तेजक!
ReplyDeletesach me ek aaina dikhati si hi kavita hai aaj to.. shreshth rachna
ReplyDeletewaah bahut khoob
ReplyDeleteviradhabhas ko bahut ache se pesh kiya hai!!
अँधा हूँ मगर
आँख वालों को
आईना बेचता हूँ
शायद अपना अक्स
नज़र आ जाये................very well thought
सच है इन्सान गूंगा, बहरा और अँधा ही तो बना हुआ है .....आईना दिखाती नज़्म ......!!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी नज़्म है...सच्चाई बयाँ करती हुई....आज इन्सान ना तो सच्चाई देखना चाहता है ,ना सुनना और ना ही बोलना...
ReplyDeleteसच्ची और अच्छी नज़्म...ढेरों बधाईयाँ..
ReplyDeleteनीरज
nice
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत ग़ज़ब की कोशिश है .... पर किसी के कान में जू नही रेंग़ेगी .... मोटी चॅम्डी के हैं सब ...
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