Wednesday, May 26, 2010

श्यामा , अपना मुझे बना लेना

    मैं भूल जाऊँ कान्हा , कुछ गम नहीं
    पर तुम ना मुझको भुला देना 
    श्यामा , अपना मुझे बना लेना
१) मैं तेरी जोत जलाऊँ या ना जलाऊँ 
    पर तुम ना मुझे भुला देना
   अपनी दिव्य ज्योति जगा देना
   कान्हा , अपना मुझे बना लेना 
२)मैं तुम्हें ध्याऊँ या ना ध्याऊँ 
   पर तुम ना मुझे भुला देना
   मेरा ध्यान निज चरणों में लगा लेना
   कान्हा , अपना मुझे बना लेना
३)मैं प्रीत निभाऊं या ना निभाऊं 
   तुम ना मुझे भुला देना
   प्रीत की रीत निभा देना
   श्यामा प्रेम का राग सुना देना 
   कान्हा, अपना मुझे बना लेना

13 comments:

  1. सुन्दर रचना ..प्रेम से भरी स्वच्छ विनती

    ReplyDelete
  2. हमारी भी एक अरज उस कान्हा तक पहुंचा देना जी....

    मै समझ पाऊँ या
    ना समझ पाऊँ..
    पर तुम तो समझ लेना...
    अपनी शरण का एहसास करा देना...
    तुझ से अलग ही कहा हूँ...
    कान्हा!बस इतना दिखा देना....

    कुंवर जी,

    ReplyDelete
  3. वैसे भजन कहें तो ज्यादा सही है.. नहीं?

    ReplyDelete
  4. वंदना मैम, मानना पड़ेगा आपको.. इतना बेहतरीन गीत रच डाला आपने..

    ReplyDelete
  5. Kitni nirmal bhavnayen hain!

    ReplyDelete
  6. श्याम से ये मनुहार भारी कविता बड़ी अच्छी लगी...

    ReplyDelete
  7. ati-sundar abhiwykti vandnaa jee !!!!!!!!!

    ReplyDelete
  8. खूबसूरती से की गयी प्रार्थना ....

    ReplyDelete
  9. कृष्ण भक्ति में सनी सुन्दर रचना के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  10. बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...

    ReplyDelete
  11. Bahut hi Sundar Abhivyakti Hai Didi...

    ReplyDelete