Monday, March 28, 2011

अब कैसे नव सृजन हो ?...................100 वीं पोस्ट

शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?

चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो ?

ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?

शून्यता मे आरुढ
हर आरम्भ और अंत
भेदभाव विरहित
आत्मानंद
सृष्टि का विलोपन
अब कैसे नव सृजन  हो?

अब कैसे नव सृजन हो ?...................100 वीं पोस्ट

शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?

चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो ?

ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?

शून्यता मे आरुढ
हर आरम्भ और अंत
भेदभाव विरहित
आत्मानंद
सृष्टि का विलोपन
अब कैसे नव सृजन  हो?

Saturday, March 26, 2011

निस्वार्थ्

कभी कभी शब्द एक खेल बन जाते हैं दिल और दिमाग के बीच ……कभी दिल के हाथ बिकते हैं तो कभी दिमाग के हाथों नीलाम होते हैं.………पर क्या कभी शब्दो को सही मुकाम हासिल होता है? क्या शब्दों की अपनी दुनिया मे उनका कोई निज़ी अस्तित्व होता है जब तक की अभिव्यक्त ना हो जायें ……किसी के हाथ की कठपुतली ना बन जायें तब तक शब्द सिर्फ़ शब्द बन कर ही रह जाते हैं …………अस्तित्व होते हुये भी अस्तित्वहीन …………क्या स्त्री और शब्दों मे कोई समानता है? शायद हाँ, तभी अपने स्वतंत्र अस्तित्व होते हुये भी अपनी पह्चान के लिये किसी के हाथों की कठपुतली बन जाते है दोनो………शायद दोनो का एक ही स्वभाव है………दूसरे को पहचान देना…………दूसरे के भावो को स्वंय मे समाहित करना और बिखर जाना…………खुद को मिटा देना मगर अपना जीना सार्थक कर देना ……………शायद ज़िन्दगी ऐसे भी जी जाती है ……निस्वार्थ्।

निस्वार्थ्

कभी कभी शब्द एक खेल बन जाते हैं दिल और दिमाग के बीच ……कभी दिल के हाथ बिकते हैं तो कभी दिमाग के हाथों नीलाम होते हैं.………पर क्या कभी शब्दो को सही मुकाम हासिल होता है? क्या शब्दों की अपनी दुनिया मे उनका कोई निज़ी अस्तित्व होता है जब तक की अभिव्यक्त ना हो जायें ……किसी के हाथ की कठपुतली ना बन जायें तब तक शब्द सिर्फ़ शब्द बन कर ही रह जाते हैं …………अस्तित्व होते हुये भी अस्तित्वहीन …………क्या स्त्री और शब्दों मे कोई समानता है? शायद हाँ, तभी अपने स्वतंत्र अस्तित्व होते हुये भी अपनी पह्चान के लिये किसी के हाथों की कठपुतली बन जाते है दोनो………शायद दोनो का एक ही स्वभाव है………दूसरे को पहचान देना…………दूसरे के भावो को स्वंय मे समाहित करना और बिखर जाना…………खुद को मिटा देना मगर अपना जीना सार्थक कर देना ……………शायद ज़िन्दगी ऐसे भी जी जाती है ……निस्वार्थ्।

Tuesday, March 22, 2011

मुझे भी अपना बना लेना

पुकारना नही आता
पूजन नही आता
वन्दन नही आता
नमन नही आता
बस
स्मरण करना
व्याकुल होना
और अश्रु बहाना
यही मेरी पूंजी है
मोहन ये आह
क्या तुम तक
पहुंचती है?
क्या तुम्हे भी
याद आती है
क्या तुम भी
विरह मे
तडपते हो?
निर्विकार
निर्मोही
निर्लेप हो
जानती हूँ
फिर भी
सुना है
किसी के लिये
तुम भी तड्पते हो
उस किसी मे
एक नाम मेरा भी
जोड लेना
राधा नही बनना
बस बंसी बना
अधरों पर
सजा लेना
मुझे भी
श्री अंग लगा लेना
प्राण रस फ़ूंक देना
अमृत रस बरसा देना
श्याम ,मुझे भी
अपना बना लेना



ये उस दिन सुबह लिखी गयी थी जिस दिन जापान मे सुनामी का कहर बरपा था और शायद एक कहर इस तरह मेरे दिल पर भी बरपा था या शायद आगत का कोई संदेशा था ये और दिल से ये उदगार फ़ूट पडे।

मुझे भी अपना बना लेना

पुकारना नही आता
पूजन नही आता
वन्दन नही आता
नमन नही आता
बस
स्मरण करना
व्याकुल होना
और अश्रु बहाना
यही मेरी पूंजी है
मोहन ये आह
क्या तुम तक
पहुंचती है?
क्या तुम्हे भी
याद आती है
क्या तुम भी
विरह मे
तडपते हो?
निर्विकार
निर्मोही
निर्लेप हो
जानती हूँ
फिर भी
सुना है
किसी के लिये
तुम भी तड्पते हो
उस किसी मे
एक नाम मेरा भी
जोड लेना
राधा नही बनना
बस बंसी बना
अधरों पर
सजा लेना
मुझे भी
श्री अंग लगा लेना
प्राण रस फ़ूंक देना
अमृत रस बरसा देना
श्याम ,मुझे भी
अपना बना लेना



ये उस दिन सुबह लिखी गयी थी जिस दिन जापान मे सुनामी का कहर बरपा था और शायद एक कहर इस तरह मेरे दिल पर भी बरपा था या शायद आगत का कोई संदेशा था ये और दिल से ये उदगार फ़ूट पडे।

Saturday, March 19, 2011

मै तो हर मोड पर उनको ढूँढा सदा्

मै तो हर मोड  पर
उनको ढूँढा सदा्
होली के बहाने
रंगो को लगाने
ना जाने कौन गली
छुपे हैं सांवरिया
किस बैरन ने
छुपाय लीन्हो
सजनवा हमार
हरण कर लीन्हो
कोई तो पता
बताय दीन्हो
होली म्हारी
सरस कर दीन्हो

टेसू के फ़ूल
कुम्हला गये हैं
अबीर गुलाल भी
रोने लगे हैं
सजन के बिन
मायूस हुये हैं
अब तो पता
बताय दो गुजरिया
फ़ाग को रंग
चढाय दो गुजरिया
हमका सजन से
मिलाय दो गुजरिया
प्रीत रस मे
भीजन दो गुजरिया
हमका सांवरिया से
मिलाय दो गुजरिया
आज प्रेम अटरिया
चढ्न दो बावरिया
होली के बहाने
प्रेम की होली
खेलन दो गुजरिया
श्याम को मेरा
होने दो गुजरिया

मै तो हर मोड पर उनको ढूँढा सदा्

मै तो हर मोड  पर
उनको ढूँढा सदा्
होली के बहाने
रंगो को लगाने
ना जाने कौन गली
छुपे हैं सांवरिया
किस बैरन ने
छुपाय लीन्हो
सजनवा हमार
हरण कर लीन्हो
कोई तो पता
बताय दीन्हो
होली म्हारी
सरस कर दीन्हो

टेसू के फ़ूल
कुम्हला गये हैं
अबीर गुलाल भी
रोने लगे हैं
सजन के बिन
मायूस हुये हैं
अब तो पता
बताय दो गुजरिया
फ़ाग को रंग
चढाय दो गुजरिया
हमका सजन से
मिलाय दो गुजरिया
प्रीत रस मे
भीजन दो गुजरिया
हमका सांवरिया से
मिलाय दो गुजरिया
आज प्रेम अटरिया
चढ्न दो बावरिया
होली के बहाने
प्रेम की होली
खेलन दो गुजरिया
श्याम को मेरा
होने दो गुजरिया

Wednesday, March 16, 2011

आज बिरज मे होरी रे रसिया

आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-
मेरे  बिरज मे ना हुई बरजोरी रे रसिया

मै भी प्रेम रंग घोल के बैठी
श्याम मिलन की आस मे बैठी
मुझ संग हुई ना ठिठोली रे रसिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-

श्याम रंग की मै हूँ दीवानी
मीरा सी नाचूँ मस्तानी
मुझ संग होरी ना खेले रे सांवरिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया

आज बिरज मे होरी रे रसिया

आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-
मेरे  बिरज मे ना हुई बरजोरी रे रसिया

मै भी प्रेम रंग घोल के बैठी
श्याम मिलन की आस मे बैठी
मुझ संग हुई ना ठिठोली रे रसिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया-2-

श्याम रंग की मै हूँ दीवानी
मीरा सी नाचूँ मस्तानी
मुझ संग होरी ना खेले रे सांवरिया
आज बिरज मे होरी रे रसिया

Friday, March 11, 2011

कैसे खेलूँ मैं कन्हाई

कैसे खेलूँ मैं कन्हाई 
तेरे संग प्रीत की होरी 

ब्रज गोपियाँ  
ढूँढें गली गली 
प्रेम की ओढ़ चुनरिया 
 यहाँ वहां जहाँ तहां देखा
मिला न श्याम सलोना  
 जा बैठा छुप के 
मैया के आँचल में
कैसे ढूंढूं मैं कन्हाई 
कैसे खेलूँ मैं कन्हाई
तेरे संग प्रीत की होरी  


श्याम रंग की 
भर पिचकारी 
जब सखियों ने मारी
मैं भी हो गयी श्याम रंग में 
मैं भी रंग गयी श्याम रंग में
सुन मेरे ओ कन्हाई
अब तो आ जा रे सांवरिया
अब तो मिल जा रे सांवरिया
कैसे खेलूँ मैं कन्हाई
तेरे संग प्रीत की होरी 


प्रीत की रीत मैं नाही जानूं 
होरी को बन गयो बहानो 
श्याम से मिलने है जानो 
अब न चलेगो कोई बहानो
आ जा आ जा रे सांवरिया
गले लगा जा रे सांवरिया
श्याम रंग में भिगो जा रे सांवरिया
दुल्हनिया अपनी बना जा रे सांवरिया
प्रेम रस पिला जा रे सांवरिया
फाग मेरी भी मना जा रे सांवरिया
होरी की रीत निभा जा रे सांवरिया
पूरण कर जा हर आस रे सांवरिया
छूटे अब ये भव त्रास रे सांवरिया
होरी का रंग ऐसा चढा जा रे सांवरिया
सुध बुध खो बन जाऊँ जोगनिया
मै तेरी तू मेरा बन जाये रे सांवरिया
इक दूजे मे खो जायें रे सांवरिया
रंग मे रंग मिल जाये रे सांवरिया
इक रंग हो जायें रे सांवरिया 
होरी हो जाये सार्थक रे सांवरिया
प्रीत चढ जाये गगन रे सांवरिया

कैसे खेलूँ मैं कन्हाई

कैसे खेलूँ मैं कन्हाई 
तेरे संग प्रीत की होरी 

ब्रज गोपियाँ  
ढूँढें गली गली 
प्रेम की ओढ़ चुनरिया 
 यहाँ वहां जहाँ तहां देखा
मिला न श्याम सलोना  
 जा बैठा छुप के 
मैया के आँचल में
कैसे ढूंढूं मैं कन्हाई 
कैसे खेलूँ मैं कन्हाई
तेरे संग प्रीत की होरी  


श्याम रंग की 
भर पिचकारी 
जब सखियों ने मारी
मैं भी हो गयी श्याम रंग में 
मैं भी रंग गयी श्याम रंग में
सुन मेरे ओ कन्हाई
अब तो आ जा रे सांवरिया
अब तो मिल जा रे सांवरिया
कैसे खेलूँ मैं कन्हाई
तेरे संग प्रीत की होरी 


प्रीत की रीत मैं नाही जानूं 
होरी को बन गयो बहानो 
श्याम से मिलने है जानो 
अब न चलेगो कोई बहानो
आ जा आ जा रे सांवरिया
गले लगा जा रे सांवरिया
श्याम रंग में भिगो जा रे सांवरिया
दुल्हनिया अपनी बना जा रे सांवरिया
प्रेम रस पिला जा रे सांवरिया
फाग मेरी भी मना जा रे सांवरिया
होरी की रीत निभा जा रे सांवरिया
पूरण कर जा हर आस रे सांवरिया
छूटे अब ये भव त्रास रे सांवरिया
होरी का रंग ऐसा चढा जा रे सांवरिया
सुध बुध खो बन जाऊँ जोगनिया
मै तेरी तू मेरा बन जाये रे सांवरिया
इक दूजे मे खो जायें रे सांवरिया
रंग मे रंग मिल जाये रे सांवरिया
इक रंग हो जायें रे सांवरिया 
होरी हो जाये सार्थक रे सांवरिया
प्रीत चढ जाये गगन रे सांवरिया

Monday, March 7, 2011

कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी
तेरे प्रेम मे
मै जोगन बन जाऊँगी

श्याम प्यारे मोहन प्यारे
रटती रही नाम तुम्हारे
अब तुम बिन कटते नही
दिन रैन हमारे
इक बार आ जाओ
मोहन प्यारे
गले से लगा जाओ
श्याम सखा रे
कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी


कर में लेकर इकतारा
प्रेम दीवानी मीरा बन जाऊँ
श्याम नाम की रटना लगाऊं
श्याम धुन में हो मतवाली
गली गली नाचूं
बन श्याम दीवानी
कान्हा कान्हा
मैं जोगन बन जाउंगी



कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी
तेरे प्रेम मे
मै जोगन बन जाऊँगी

श्याम प्यारे मोहन प्यारे
रटती रही नाम तुम्हारे
अब तुम बिन कटते नही
दिन रैन हमारे
इक बार आ जाओ
मोहन प्यारे
गले से लगा जाओ
श्याम सखा रे
कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी


कर में लेकर इकतारा
प्रेम दीवानी मीरा बन जाऊँ
श्याम नाम की रटना लगाऊं
श्याम धुन में हो मतवाली
गली गली नाचूं
बन श्याम दीवानी
कान्हा कान्हा
मैं जोगन बन जाउंगी



Friday, March 4, 2011

हिंदी ब्लोगिंग का सामाजिक-सांस्कृतिक और सृजनात्मक  पक्ष



सबसे पहले बात करते हैं हम ब्लोगिंग की ...........ब्लोगिंग है क्या?
ब्लोगिंग एक ऐसा माध्यम है जो अपने विचारों को प्रेषित करने का सबसे सुगम माध्यम है जिसमे हमें अपने विचारों के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया भी तुरंत प्राप्त हो जाती है और हमारी सोच को एक नई दिशा भी मिल जाती है . हमारी सोच और विचारों का दायरा बढ़ने लगता है तथा हम  एक नए जहान में प्रवेश करने लगते हैं जहाँ बहुत से लोग हमारे विचारों से सहमत होते हैं और जो सहमत नहीं होते उनके तर्कपूर्ण विचार सोचने को मजबूर करते हैं.
 ये एक ऐसी विधा है जिसकी उपयोगिता के प्रति आज ना सिर्फ आम आदमी बल्कि समाज, देश और मिडिया सभी आश्वस्त हैं और ब्लोगिंग से जुड़ने के लिए उसी हद तक बेचैन होते हैं जितना कि आम इंसान ...........और ये अपने आप में ब्लोगिंग की सार्थकता का द्योतक है ............बेशक और भाषाओँ में भी ब्लोगिंग होती है मगर हिंदी ब्लोगिंग ने अब नए- नए आयाम बनाने शुरू कर दिए हैं .आज हिंदी ब्लोगिंग के प्रति कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं और हर वर्ग के लोग इसे सीखने के  लिए उत्सुक दिखाई देते हैं .ये हिंदी ब्लोगिंग की सफलता का परिचायक है .

सामाजिक दृष्टि से देखा जाये तो हिंदी ब्लोगिंग बेहद कारगर साबित हुई है . जैसा कि सभी जानते हैं कि आज परिवार छोटे -छोटे हो गए हैं और दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मेल मिलाप सिर्फ कुछ खास आयोजनों पर ही संभव हो पाता है ऐसे में इन्सान का सामाजिक दायरा बहुत ही संकुचित होने लगता है और वो अपने घर की चारदीवारी में खुद को कैदी सा महसूस करने लगता है और फिर  एक वक्त आता है जब उसे ये लगता है कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उसे आत्मसंतुष्टि मिले और जब वो ऐसा नहीं कर पाता तब वो मानसिक रूप से अस्वस्थ होने लगता है और एक तरह की चिडचिडाहट , उकताहट  उसमे पैदा होने लगती है जिसका असर उसके घर , परिवार ,समाज और उसकी कार्यक्षमता पर पड़ने लगता है जो कभी - कभी बहुत ही खतरनाक रुख अख्तियार कर लेता है ...........इन हालात में हिंदी ब्लोगिंग ने एक बहुत ही सुन्दर और स्वस्थ प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध करवाया है जिसने इन्सान के जीने और सोचने को नयी दिशा दी और उसके जीवन की धारा ही बदल दी ...........आज हर इन्सान वो चाहे स्त्री हो या पुरुष , कामकाजी हो या घरेलू, पत्रकार हों या फिल्म सेलेब्रिटी सभी का रुझान ब्लोगिंग की तरफ बढ़ा है क्योंकि ब्लोगिंग के माध्यम से इन्सान दूसरों से इतनी आत्मीयता से जुड़ जाता है कि पता ही नहीं चलता कब सम्बन्ध इतने प्रगाढ़ हो गए कि लगता ही नहीं कि कभी एक दूसरे को जानते ही नहीं थे..............आज ब्लोगिंग का दायरा ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक बढ़ गया है .........आज सभी ब्लॉगर एक दूसरे से मिलते हैं ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी ............ब्लोगर्स मीट का आयोजन किया जाता है जिसमे हिंदी ब्लोगिंग के उत्थान के प्रति सबको जागरूक किया जाता है साथ की हिंदी ब्लोगिंग को नयी दिशा कैसे प्रदान की जाये इस पर भी विचार किया जाता है .

आज तकनीक इतनी आधुनिक हो गयी है कि हिंदी ब्लोगिंग का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है ........आने वाला कल हिंदी ब्लोगिंग का होगा इसमें कोई शक नहीं है . नए- नए लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं यही सबसे बड़ा प्रमाण है और इसके साथ आज का युवा वर्ग भी इस तरफ आकर्षित हो रहा है जो इसके उज्जवल भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है . यहाँ तक कि कितने ही युवा हिंदी ब्लोगिंग पर पी एच डी कर रहे हैं तो ये कोई छोटी बात नहीं है बल्कि सम्मान का विषय है कि आज हिंदी ब्लोगिंग ने इतने छोटे से अन्तराल में अपना एक खास मुकाम बना लिया है जिसे इतना उच्च स्थान दिया जा रहा है कि वो एक शोध का विषय बन गयी है .........शोध का विषय बनना ही हिंदी ब्लोगिंग की सफलता का द्योतक है .

आज का  युग इन्टरनेट का युग है और इन्टरनेट के युग ने ना सिर्फ ब्लोगिंग बल्कि हिंदी ब्लोगिंग को खास बढ़ावा दिया . जब से हिंदी फॉण्ट का प्रयोग करने की सुविधा उपलब्ध करवाई तब से हिंदी ब्लोगिंग ने अपनी राह बनानी शुरू कर डी . अभी तो हिंदी ब्लोगिंग अपनी शैशवावस्था में है . कुछ काल में हिंदी ब्लोगिंग का परचम सारी दुनिया में लहराएगा इसमें कोई शक नहीं है . तकनीक के साथ के कारण हिंदी ब्लोगिंग एक सशक्त माध्यम बन के उभरी है .

हिंदी ब्लोगिंग को सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाये तो एक बहुत ही खास योगदान दे रही है . पहले सिर्फ किताबों के द्वारा ज्ञान संवर्धन होता था और जिन्हें वो उपलब्ध नही होती थी तो उसके लिए कोई खास प्रयास भी नहीं करता था क्योंकि और भी बहुत से काम होते हैं घर परिवार में ........मगर आज हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से सबको अपनी संस्कृति से रु -ब-रु होने का भी मौका मिलता है . कितने ही ब्लोगर ऐसे हैं जो भारतीय संस्कृति के बारे में लिखते हैं . नयी नयी जानकारियां उपलब्ध करवाते हैं . जैसे ही कोई त्यौहार आता है तो उसकी महत्ता के बारे में बताते हैं जिनके बारे में हमने कभी जाना नहीं होता ऐसी ना जाने कितनी ही जानकारियां हिंदी ब्लोगिंग में माध्यम से उपलब्ध हो जाती हैं जो युवाओं का ना सिर्फ मार्गदर्शन करती हैं बल्कि ज्ञानवर्धन भी होता है साथ ही अपनी संस्कृति की पहचान भी होती है वरना तो आज की पीढ़ी को इन बातों का कुछ पता ही नहीं ........ जो  लोग हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े हैं उनके ज्ञान का दायरा काफी विकसित  हो जाता है और अपनी संस्कृति के प्रति उनमे एक लगाव भी पैदा होता है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर बन जाता है . आज जो भी लिखा जा रहा है हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से , सब आने वाली पीढ़ियों के लिए , उनके ज्ञानार्जन के लिए एक मिसाल कायम करेगा.

जहाँ तक हिंदी ब्लोगिंग के रचनात्मक पहलों की बात है तो उसमे भी ये किसी से कम नहीं है . बेशक अभी इसमें सभी ब्लोगर उतनी गंभीरता से नहीं लिखते या कहिये उतना गंभीर लेखन नहीं होता मगर तब भी यहाँ सृजनात्मक पक्ष कमजोर है ये कहना भी उचित नहीं होगा . सभी तरह के लेखक विद्यमान हैं . फिर चाहे वो लेख लिखें या कहानियां या कवितायें या साहित्य सबका अपना दृष्टिकोण होता है . किसी भी लेखन में गंभीरता समय के साथ आती है अगर कोई हल्का भी लिखता है तो यहाँ उसे उत्साहित किया जाता है और अच्छा लिखने के लिए .........प्रशंसा के दो बोल उसे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं और धीरे धीरे उसमे परिपक्वता आने लगती है . ऐसा ही हर जगह और हर काल में होता आया है . अगर देखा जाए तो हर युग में लेखक हो या कवि सभी को काफी संघर्ष करना पड़ा और तब भी कितनो को ही जीते जी वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया  क्योंकि उसे उस वक्त कोई प्रेरित नहीं करता था मगर आज हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से ना जाने कितने ही साहित्यकार , लेखक और कवि अपने मुकाम को हासिल कर रहे हैं और आगे कितने करेगे इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता . हिंदी ब्लोगिंग का रचनात्मक और सृजनात्मक पक्ष बेहद सशक्त और सबल है . आज इसका सबसे बड़ा उदहारण ये है कि हमारे कितने ही ब्लोगर दोस्तों की पुस्तकें छप रही हैं , उन्हें बड़े बड़े सम्मान प्राप्त हो रहे हैं . तो क्या ये हिंदी ब्लोगिंग की सफलता के द्योतक नहीं हैं? ये छोटी छोटी उपलब्धियां हिंदी ब्लोगिंग को नया आकाश दे रही हैं जहाँ ब्लोगर रुपी पंछी उन्मुक्त अपनी उडान भर सकता है और अपने लिए एक नया आकाश बना सकता है .


आज तरह- तरह के प्रतिस्पर्धी आयोजन किये जा रहे हैं हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से ताकि अधिक से अधिक लोग इसकी तरफ आकर्षित हो सकें और अपना सार्थक योगदान प्रदान कर सकें . बेशक हर विधा के गुण और अवगुण दोनों होते हैं मगर हमें अवगुणों को भी गुणों में परिवर्तित करना होगा . हिंदी ब्लोगिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना होगा . बस जरूरत है आज हिंदी ब्लोगिंग की क्षमता को पहचानने  का ..........ब्लोगिंग सिर्फ गंभीर चिंतन मांगती है . करना सिर्फ इतना है कि ब्लोगिंग को नशा ना बनाये बल्कि गंभीरता से मनन , चिंतन करने के बाद कुछ लिखें तो वो मील का पत्थर साबित होगा. वैचारिक मतभेद होने पर भी मनभेद को बढ़ावा ना दिया जाये और स्वस्थ परंपरा का निर्वहन किया जाये तो हिंदी ब्लोगिंग एक ऐसा आधार स्तम्भ प्रदान करेगी जिसके साये तले ना जाने कितने साहित्यकारों का जन्म होगा और देश , दुनिया और समाज में हिंदी ब्लोगिंग के साथ उनका नाम भी रौशन होगा.
हिंदी ब्लोगिंग का सामाजिक-सांस्कृतिक और सृजनात्मक  पक्ष



सबसे पहले बात करते हैं हम ब्लोगिंग की ...........ब्लोगिंग है क्या?
ब्लोगिंग एक ऐसा माध्यम है जो अपने विचारों को प्रेषित करने का सबसे सुगम माध्यम है जिसमे हमें अपने विचारों के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया भी तुरंत प्राप्त हो जाती है और हमारी सोच को एक नई दिशा भी मिल जाती है . हमारी सोच और विचारों का दायरा बढ़ने लगता है तथा हम  एक नए जहान में प्रवेश करने लगते हैं जहाँ बहुत से लोग हमारे विचारों से सहमत होते हैं और जो सहमत नहीं होते उनके तर्कपूर्ण विचार सोचने को मजबूर करते हैं.
 ये एक ऐसी विधा है जिसकी उपयोगिता के प्रति आज ना सिर्फ आम आदमी बल्कि समाज, देश और मिडिया सभी आश्वस्त हैं और ब्लोगिंग से जुड़ने के लिए उसी हद तक बेचैन होते हैं जितना कि आम इंसान ...........और ये अपने आप में ब्लोगिंग की सार्थकता का द्योतक है ............बेशक और भाषाओँ में भी ब्लोगिंग होती है मगर हिंदी ब्लोगिंग ने अब नए- नए आयाम बनाने शुरू कर दिए हैं .आज हिंदी ब्लोगिंग के प्रति कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं और हर वर्ग के लोग इसे सीखने के  लिए उत्सुक दिखाई देते हैं .ये हिंदी ब्लोगिंग की सफलता का परिचायक है .

सामाजिक दृष्टि से देखा जाये तो हिंदी ब्लोगिंग बेहद कारगर साबित हुई है . जैसा कि सभी जानते हैं कि आज परिवार छोटे -छोटे हो गए हैं और दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मेल मिलाप सिर्फ कुछ खास आयोजनों पर ही संभव हो पाता है ऐसे में इन्सान का सामाजिक दायरा बहुत ही संकुचित होने लगता है और वो अपने घर की चारदीवारी में खुद को कैदी सा महसूस करने लगता है और फिर  एक वक्त आता है जब उसे ये लगता है कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उसे आत्मसंतुष्टि मिले और जब वो ऐसा नहीं कर पाता तब वो मानसिक रूप से अस्वस्थ होने लगता है और एक तरह की चिडचिडाहट , उकताहट  उसमे पैदा होने लगती है जिसका असर उसके घर , परिवार ,समाज और उसकी कार्यक्षमता पर पड़ने लगता है जो कभी - कभी बहुत ही खतरनाक रुख अख्तियार कर लेता है ...........इन हालात में हिंदी ब्लोगिंग ने एक बहुत ही सुन्दर और स्वस्थ प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध करवाया है जिसने इन्सान के जीने और सोचने को नयी दिशा दी और उसके जीवन की धारा ही बदल दी ...........आज हर इन्सान वो चाहे स्त्री हो या पुरुष , कामकाजी हो या घरेलू, पत्रकार हों या फिल्म सेलेब्रिटी सभी का रुझान ब्लोगिंग की तरफ बढ़ा है क्योंकि ब्लोगिंग के माध्यम से इन्सान दूसरों से इतनी आत्मीयता से जुड़ जाता है कि पता ही नहीं चलता कब सम्बन्ध इतने प्रगाढ़ हो गए कि लगता ही नहीं कि कभी एक दूसरे को जानते ही नहीं थे..............आज ब्लोगिंग का दायरा ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक बढ़ गया है .........आज सभी ब्लॉगर एक दूसरे से मिलते हैं ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी ............ब्लोगर्स मीट का आयोजन किया जाता है जिसमे हिंदी ब्लोगिंग के उत्थान के प्रति सबको जागरूक किया जाता है साथ की हिंदी ब्लोगिंग को नयी दिशा कैसे प्रदान की जाये इस पर भी विचार किया जाता है .

आज तकनीक इतनी आधुनिक हो गयी है कि हिंदी ब्लोगिंग का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है ........आने वाला कल हिंदी ब्लोगिंग का होगा इसमें कोई शक नहीं है . नए- नए लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं यही सबसे बड़ा प्रमाण है और इसके साथ आज का युवा वर्ग भी इस तरफ आकर्षित हो रहा है जो इसके उज्जवल भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है . यहाँ तक कि कितने ही युवा हिंदी ब्लोगिंग पर पी एच डी कर रहे हैं तो ये कोई छोटी बात नहीं है बल्कि सम्मान का विषय है कि आज हिंदी ब्लोगिंग ने इतने छोटे से अन्तराल में अपना एक खास मुकाम बना लिया है जिसे इतना उच्च स्थान दिया जा रहा है कि वो एक शोध का विषय बन गयी है .........शोध का विषय बनना ही हिंदी ब्लोगिंग की सफलता का द्योतक है .

आज का  युग इन्टरनेट का युग है और इन्टरनेट के युग ने ना सिर्फ ब्लोगिंग बल्कि हिंदी ब्लोगिंग को खास बढ़ावा दिया . जब से हिंदी फॉण्ट का प्रयोग करने की सुविधा उपलब्ध करवाई तब से हिंदी ब्लोगिंग ने अपनी राह बनानी शुरू कर डी . अभी तो हिंदी ब्लोगिंग अपनी शैशवावस्था में है . कुछ काल में हिंदी ब्लोगिंग का परचम सारी दुनिया में लहराएगा इसमें कोई शक नहीं है . तकनीक के साथ के कारण हिंदी ब्लोगिंग एक सशक्त माध्यम बन के उभरी है .

हिंदी ब्लोगिंग को सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाये तो एक बहुत ही खास योगदान दे रही है . पहले सिर्फ किताबों के द्वारा ज्ञान संवर्धन होता था और जिन्हें वो उपलब्ध नही होती थी तो उसके लिए कोई खास प्रयास भी नहीं करता था क्योंकि और भी बहुत से काम होते हैं घर परिवार में ........मगर आज हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से सबको अपनी संस्कृति से रु -ब-रु होने का भी मौका मिलता है . कितने ही ब्लोगर ऐसे हैं जो भारतीय संस्कृति के बारे में लिखते हैं . नयी नयी जानकारियां उपलब्ध करवाते हैं . जैसे ही कोई त्यौहार आता है तो उसकी महत्ता के बारे में बताते हैं जिनके बारे में हमने कभी जाना नहीं होता ऐसी ना जाने कितनी ही जानकारियां हिंदी ब्लोगिंग में माध्यम से उपलब्ध हो जाती हैं जो युवाओं का ना सिर्फ मार्गदर्शन करती हैं बल्कि ज्ञानवर्धन भी होता है साथ ही अपनी संस्कृति की पहचान भी होती है वरना तो आज की पीढ़ी को इन बातों का कुछ पता ही नहीं ........ जो  लोग हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े हैं उनके ज्ञान का दायरा काफी विकसित  हो जाता है और अपनी संस्कृति के प्रति उनमे एक लगाव भी पैदा होता है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर बन जाता है . आज जो भी लिखा जा रहा है हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से , सब आने वाली पीढ़ियों के लिए , उनके ज्ञानार्जन के लिए एक मिसाल कायम करेगा.

जहाँ तक हिंदी ब्लोगिंग के रचनात्मक पहलों की बात है तो उसमे भी ये किसी से कम नहीं है . बेशक अभी इसमें सभी ब्लोगर उतनी गंभीरता से नहीं लिखते या कहिये उतना गंभीर लेखन नहीं होता मगर तब भी यहाँ सृजनात्मक पक्ष कमजोर है ये कहना भी उचित नहीं होगा . सभी तरह के लेखक विद्यमान हैं . फिर चाहे वो लेख लिखें या कहानियां या कवितायें या साहित्य सबका अपना दृष्टिकोण होता है . किसी भी लेखन में गंभीरता समय के साथ आती है अगर कोई हल्का भी लिखता है तो यहाँ उसे उत्साहित किया जाता है और अच्छा लिखने के लिए .........प्रशंसा के दो बोल उसे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं और धीरे धीरे उसमे परिपक्वता आने लगती है . ऐसा ही हर जगह और हर काल में होता आया है . अगर देखा जाए तो हर युग में लेखक हो या कवि सभी को काफी संघर्ष करना पड़ा और तब भी कितनो को ही जीते जी वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया  क्योंकि उसे उस वक्त कोई प्रेरित नहीं करता था मगर आज हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से ना जाने कितने ही साहित्यकार , लेखक और कवि अपने मुकाम को हासिल कर रहे हैं और आगे कितने करेगे इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता . हिंदी ब्लोगिंग का रचनात्मक और सृजनात्मक पक्ष बेहद सशक्त और सबल है . आज इसका सबसे बड़ा उदहारण ये है कि हमारे कितने ही ब्लोगर दोस्तों की पुस्तकें छप रही हैं , उन्हें बड़े बड़े सम्मान प्राप्त हो रहे हैं . तो क्या ये हिंदी ब्लोगिंग की सफलता के द्योतक नहीं हैं? ये छोटी छोटी उपलब्धियां हिंदी ब्लोगिंग को नया आकाश दे रही हैं जहाँ ब्लोगर रुपी पंछी उन्मुक्त अपनी उडान भर सकता है और अपने लिए एक नया आकाश बना सकता है .


आज तरह- तरह के प्रतिस्पर्धी आयोजन किये जा रहे हैं हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से ताकि अधिक से अधिक लोग इसकी तरफ आकर्षित हो सकें और अपना सार्थक योगदान प्रदान कर सकें . बेशक हर विधा के गुण और अवगुण दोनों होते हैं मगर हमें अवगुणों को भी गुणों में परिवर्तित करना होगा . हिंदी ब्लोगिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना होगा . बस जरूरत है आज हिंदी ब्लोगिंग की क्षमता को पहचानने  का ..........ब्लोगिंग सिर्फ गंभीर चिंतन मांगती है . करना सिर्फ इतना है कि ब्लोगिंग को नशा ना बनाये बल्कि गंभीरता से मनन , चिंतन करने के बाद कुछ लिखें तो वो मील का पत्थर साबित होगा. वैचारिक मतभेद होने पर भी मनभेद को बढ़ावा ना दिया जाये और स्वस्थ परंपरा का निर्वहन किया जाये तो हिंदी ब्लोगिंग एक ऐसा आधार स्तम्भ प्रदान करेगी जिसके साये तले ना जाने कितने साहित्यकारों का जन्म होगा और देश , दुनिया और समाज में हिंदी ब्लोगिंग के साथ उनका नाम भी रौशन होगा.