Monday, March 1, 2010

मुर्गा कटता रहता है

चल पागल
मोहब्बत करनी
भी नहीं आती
झूठे वादे करके
कोई वादा पूरा
न करना
जन्मों के इंतज़ार
की बातें करके
इस जन्म में भी
इंतज़ार न करना
मुरझाये गुल को भी
गुलाब बता देना
खाली पास- बुक को
अम्बानी की बता देना
उधार की गाड़ी को
अपना बना लेना
ये है आज का चलन
और तू है पागल
मोहब्बत के नाम पर
कुर्बान हुआ जाता है
जान हलाल किये जाता है
आँसू बहाए जाता है
वफ़ाओं की दुहाई
दिए जाता है
यहाँ किसी को
दर्द नही होता
यहाँ कोई
किसी के लिए
नहीं मरता है
आज तू , कल
कोई और सही
बस इसी तर्ज़ पर
मुर्गा कटता रहता है

26 comments:

  1. मम्मी आपने अन्तिम की पंक्तियों में बहुत कुछ कह दिया , बहुत सही व बहुत ही खूबसूरत कविता लगी ।

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  2. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नही मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज पर
    मुर्गा कटता रहता है

    कसाईरूपी शिव के सामने सब मजबूर है!

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  3. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नही मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज पर
    मुर्गा कटता रहता है

    कसाईरूपी शिव के सामने सब मजबूर है!

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  4. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नही मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज पर
    मुर्गा कटता रहता है!!!!!

    Great!!!!!!

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  5. वंदना जी,
    आपका व्यंग्य "मुर्गा कटता रहता है " पढ़ा, दो बार पढ़ा.
    इसे आज के ज़माने की हकीक़त, चलन या मानसिकता कह सकते हैं कि हमने अपने मानवीय मूल्यों को कितना गिरा दिया है.
    मोहब्बत या प्रीति जैसे "अनमोल" रिश्तों को हम छोटे छोटे स्वार्थों या चंद चाँदी के टुकड़ों से बदलने लगे हैं.
    आज के प्रायोगिक युग में इंसान अपनी पारंपरिक व्यवहारिकता कितनी खोता जा रहा है , इसकी एक बानगी वंदना जी ने प्रस्तुत की है. काश, पाठक इस विषय पर कुछ क्षण चिंतन-मनन कर पाए !!!!
    इन पंक्तियों के लिए विशेष तौर पर बधाई -

    "यहाँ किसी को
    दर्द नहीं होता
    यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नहीं मरता है"

    - विजय तिवारी "किसलय "

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  6. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  7. आप अब तो कड़वे कड़वे सच लिखने लगी है।

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  8. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नहीं मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज़ पर
    मुर्गा कटता रहता है

    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  9. सब कुछ तो आपने ही कह दिया - हमारे बोलने के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं - शानदार कविता - बधाई

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  10. सब प्यार की बातें करते हैं
    पर करना आता प्यार नहीं
    है मतलब की दुनिया सारी
    यहाँ कोई किसी का यार नहीं

    किसी को सच्चा प्यार नहीं

    बहुत खूब.

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  11. मजाक-मजाक में काफी गूढ़ बात कह दी आपने !

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  12. जोरदार और सटीक !

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  13. मुर्गा हो या मुर्गी
    कटता भी रहा
    बंटता भी रहा
    आपने बिल्‍कुल
    सही कहा

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  14. सच्चाई बयां करती हुई कविता । बहुत सुंदर ।

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  15. यहाँ किसी को
    दर्द नही होता
    यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नहीं मरता है

    आज की मानसिकता का सटीक वर्णन किया है...व्यंगात्मक शैली होते हुए भी बात में गहराई है...

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  16. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नही मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज पर
    मुर्गा कटता रहता है।
    आज कल की दुनिया के स्वार्थ पर ये पँक्तियाँ बिलकुल सही हैं। बधाई इस रचना के लिये।

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  17. मुर्गा तो कटेगा ही ....

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  18. आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज़ पर
    मुर्गा कटता रहता है
    अलग शैली की शानदार रचना
    जबरदस्त अन्योक्ति और व्यंग्य

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  19. यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नहीं मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज़ पर
    मुर्गा कटता रहता है.....

    ज़बरदस्त पंक्तियों के साथ..... मनभावन रचना....

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  20. वाह वन्दना जी, अपने बिल्कुल सही कहा है " यहाँ किसी को दर्द नहीं होता , यहाँ किसी के लिए कोई नहीं मरता "

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  21. bahut badiya vandna aaj ke samay main yeh bat bilkul prasangik hai. khoob karene se vyanga kiya hai . . .

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  22. मुरझाये गुल को भी
    गुलाब बता देना
    खाली पास- बुक को
    अम्बानी की बता देना
    उधार की गाड़ी क
    अपना बना लेना
    ये है आज का चलन
    अरे वाह...सारे सच बता दिए आपने...अब क्या होगा..उन प्रेमियों का...बेचारे...अब नए बहाने ढूंढेंगे ....
    बढ़िया रचना

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  23. waah

    madam apki rachna padhkar hridaya bhaaw wibhor ho utha...apne kya khoob likha hai..
    यहाँ कोई
    किसी के लिए
    नही मरता है
    आज तू , कल
    कोई और सही
    बस इसी तर्ज पर
    मुर्गा कटता रहता है.....inshallah mazaa aa gya

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  24. आज की दुनियादारी है ये ,क्या कहें

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  25. मुरझाये गुल को भी गुलाब बता देना ......आपकी कवितायेँ अच्छी लगी

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