Wednesday, August 4, 2010

श्याम बिन ज़िन्दगी गुजरती नहीं है

श्याम बिन ज़िन्दगी गुजरती नहीं है
राधे नाम बिन ये सँवरती नहीं है 
श्याम बिन .....................................

१) पीले पड़ गए हैं ये शाखों के पत्ते -२-
    उजड़ गया है ये मधुबन सारा -२-
    गोविन्द बिन कुछ भी सुहाता नहीं है 
श्याम बिन ..........................................

२) पनघट भी सूने गलियाँ भी सूनी -२-
    वो अमुआ के झूले वो मौसम भी भूले -२-
    तेरे बिन सांवरिया हम मरना भी भूले 
श्याम बिन ............................................

३) वो वंशी की ताने वो यमुना की बाहें -२-
    वो कदम्ब की छाहें वो टेढ़ी निगाहें -२-
    हर इक याद तेरी भुलाती नहीं है 
श्याम बिन .............................................

11 comments:

  1. आपकी कृष्ण भक्तिरस में सराबोर भावना को शत-शत नमन!

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  2. भक्ति से परिपूर्ण रचना !!

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  3. नही गुजरती श्याम बिन, इस जीवन की शाम।
    यही अर्चना-वन्दना, रटना राधे-श्याम!!

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  4. बहुत सुन्दर भक्ति रचना।

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  5. बहुत सुन्दर गीत ....आनंद आ गया ...लगा सारी गोपियाँ मिल कर गा रही हीं :)

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  6. बहुत ही सुन्‍दर भजन ।

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  7. भक्ति भाव से सराबोर है यह रचना!... कृष्ण के बगैर सब सूना सूना ही है!...अति सुंदर भाव, बधाई!

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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