परसों आने का
वादा करके
मोहे भूल गए
साँवरिया
बातों का भुलावा
दे गए मोहन
करके कितनी
चिरोरियाँ
मोहे भूल गए
साँवरिया
छवि दिखला के
अपना बनाकर
भुलावा दे गए
प्रीतम
दिखा के अपनी
सुरतिया
मोहे भूल गए
साँवरिया
प्रेम का दीप
जलाकर
विरह वेदना को
बढाकर
हाथ छोड़ गए
मोहनिया
मोहे भूल गए
साँवरिया
बरसों बीते
श्याम बिन रीते
ना जानी साँझ
और दुपहरिया
मोहे भूल गए
साँवरिया
Monday, October 11, 2010
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parson ko bitay diyo barson tarson kab panw piya parson
ReplyDeleteviyog ki achchhi rachna
prashansniy
बताओ..वादा करके भूल गये...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
आदरणीय वंदना जी
ReplyDelete....प्रशंसनीय रचना - बधाई
परसों आने का
ReplyDeleteवादा करके
मोहे भूल गए
साँवरिया
PREYASI KI VIRAH VEDNA SAAF JHALKTI HAI....
Saavariyaa zaroor lautenge!
ReplyDeleteBehad sundar rachana!
""परसों मिलने का वादा कर भूल गए सांवरियां .... ""
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना .बढ़िया प्रस्तुति... आभार वंदना जी
बहुत सुन्दर रचना लिकी है आपने वन्दना जी!
ReplyDelete--
इस रचना को पढ़कर
यह गीत जुवान पर आ ही गया-
--
भुला नही देना जी.. भुला नही देना!
जमान खराब है, दगा नही देना जी..
दगा नहा देना....!
चिरन्तन प्रतीक्षा ?
ReplyDeleteबरसों बीते
ReplyDeleteश्याम बिन रीते
ना जानी साँझ
और दुपहरिया
मोहे भूल गए
साँवरिया.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...भावनाओं और शब्दों का सुन्दर संगम...बधाई..
वन्दना जी . अच्छा भजन है । लोकप्रियता मिलेगी ।
ReplyDeleteबहोत ही अच्छी रचना
ReplyDeleteसुन्दर सरल उलाहना।
ReplyDeleteश्याम के बिन राधा के विरह की पीड़ा का सचित्र वर्णन किया है बहुत ही मार्मिक रचना
ReplyDeleteवंदना जी इस परसों शब्द में बहुत कुछ छुपा है.. प्रेम में परसों हमेशा ही अषाढ़ के बादलों की तरह निर्मोही होता है..आपके मोहन जो पढ़ लेंगे इसे.. आज ही दौड़े आयेंगे.. सुंदर कविता..
ReplyDeleteकृष्ण तो हमेशा से छलिया रहे हैं ...सुन्दर विरह वर्णन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeletebahut hi chaliya hain wo, aapko pata the to dil kyun lagaya !
ReplyDeletenice poem
bahut sundar likha hai aapne............har shabda dil me utar gaya
ReplyDeleteprem ka deepak jalakar
ReplyDeletevirah vedna ko badhakar
achchha likha vandana ji . shayad ek bhakt hi is pain ko samajh sakta hai. baki ko to bas shabd lagte hain .
thanks 4 these 2 lines.
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeleteश्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
बहुत सुन्दर उलाहना। बधाई।
ReplyDeleteदशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!
ReplyDelete.
ReplyDeleteवादा तो निभाना चाहिए भाई...
सुन्दर प्रस्तुति।
.
kavitayen bhi aap ki achhi bahut achin hain,
ReplyDeletebahut - bahut shubh kamna ki aap aisi hi likhti rahen