आहों मे असर हो तो
खुद दौडे चले आते हैं
फिर बाँह पकड कर के
सीने से लगाते हैं
याद मे जब उनकी
हम नीर बहाते हैं
खुद वो भी तडपते हैं
और हमे भी तडपाते हैं
कभी अपना बनाते हैं
कभी मेरे बन जाते हैं
ये आँख मिचौलियाँ
श्याम मुझसे निभाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े आते हैं
कभी छुप छुप जाते हैं
कभी दरस दिखाते हैं
श्याम झलक को
जब नैना तरसते हैं
वो बन के पपीहा मेरे
मन मे बस जाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े चले आते हैं
कभी गोपी बन जाते हैं
कभी रास रचाते हैं
खुद भी नाचते हैं
संग मुझे भी नचाते हैं
ये प्रेम के रसरंग
श्याम प्रेम से निभाते हैं
आहों मे असर हो तो
खुद दौडे आते हैं
कभी करुणा बरसाते हैं
और प्रीत बढ़ाते हैं
ये प्रेम की पींगें श्याम
रुक रुक कर बढ़ाते हैं
आत्मदीप जलाकर के
हृदयतम भी मिटाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े चले आते हैं
Wednesday, November 24, 2010
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वियोग-संजोग के प्रेम वन में सैर कराने का आभार
ReplyDeleteआहों मे असर हो तो
खुद दौडे आते हैं
ये प्रेम के रसरंग,
ReplyDeleteश्याम प्रेम से निभाते हैं ....
बहुत ही सुन्दर ।
आहों में असर.... इन तीन शब्दों में आपने प्रेम की व्याख्या कर दी.. यही तो प्रेम की आत्मा है..
ReplyDeletesunder rachna. pyar me to milna bicharna laga rahta hai.
ReplyDeleteआहों मे असर हो तो
ReplyDeleteखुद दौडे चले आते हैं
बहुत सुन्दर......!
बेहद सुन्दर रचना... न जाने कितनी भावनाओं को एक साथ संजो कर रख दिया आपने...
ReplyDeleteसही बात है अगर श्याम को दिल से पुकारो तो पुकार सुनते हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी कविता। बधाई।
प्रेम की पुकार में बहुत शक्ति होती है।
ReplyDeleteजिसने आहें भरी हों, वही इसके असर को समझ सकता है!!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteविचार::आज महिला हिंसा विरोधी दिवस है
आहों का असर हो तो खुद दौड़े चले आते हैं। यानि कि हमारी आहों में असर ही नहीं।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अभियक्ति.... प्रेरणादायक प्रस्तुति है... बहुत खूब!
ReplyDeleteशानदार सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रेम और वियोग रस का बढ़िया मिश्रण !
ReplyDeleteप्यारी दीदी ...
ReplyDeleteश्री श्यामसुन्दर के श्री चरणों में बहुत ही सुन्दर भाव प्रस्तुत किया आपने...
इस सुन्दर रचना को सम सभी के साँझा करने के लिए बहुत बहुत आभार...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी की !!
Ye Pre ras hai ye to aise hi rang lata hai
ReplyDeleteखूबसूरत , राधा सी मोहिनी तो ऐसा ही गीत गाएगी ..
ReplyDeleteकभी करुणा बरसते हैं ...में बरसते को बरसाते लिख लें ..
प्रेम भक्ति से पूर्ण सुन्दर रचना!
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा....
ReplyDeleteतुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हे मना लेंगे,
आहों में असर होगा तो घर बैठे बुला लेंगे।
प्रेम पगे भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर
डोरोथी.
आहों मे असर हो तो
ReplyDeleteखुद दौडे चले आते हैं
सुन्दर एहसास की रचना
ते ते ते की पुनरावृत्ति कविता के शिल्प मे व्यवधान की तरह लग रही है ।
ReplyDeleteताऊ पहेली 102 का सही जवाब :
ReplyDeletehttp://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_27.html
क्या बात है ..मधुर गीत के लिए बधाई !
ReplyDeleteprem bhav ki khubsurat abhivyakti...
ReplyDeleteसुन्दर एहसास की रचना
ReplyDeleteसुन्दर एहसास के साथ उम्दा रचना! बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteसुन्दर एहसास की रचना
ReplyDeletebahut bahut badhai ''hamara metro''me aapkee rachna ke prakashit hone par .
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