Friday, February 10, 2012

कृष्ण लीला ........भाग 37





मगर राधा के मन को 
मोहन ऐसे भाए हैं
उनके बिना चैन
ना जिया को आये हैं 
तीसरे दिन दूध दोहने के बहाने
कान्हा के द्वारे पर आई हैं
और मोहन को आवाज़ लगायी है 
राधा प्यारी के शब्दों ने 
मोहन की प्रीत बढ़ाई है
मैया से बोल उठे , "मैया 
कल मैं यमुना का रास्ता भूल गया था
इक गोपी ने लाकर 
घर पर छोड़ा था 
अभी वो ही गोपी आवाज़ लगायी है
पर लज्जा के कारण
ना भीतर आई है
तुम ही उसे बुला लो मैया
इतना कह मोहन ने
अपनी माया फैलाई है
और मैया के ह्रदय में 
श्यामा की प्रीत बढ़ाई है 
तब मैयाके कहने पर
श्यामसुंदर ने 
राधा की बाँह पकड़ी है
और घर के भीतर लाये हैं 
राधा जू की सुन्दरता में 
मैया ने सुध बुध बिसरायी है 




फिर धैर्य धारण कर
बड़े प्रेम से राधा जी का
परिचय जाना है
कौन गाँव की बेटी हो
कौन तुम्हारे तात हैं
पहले ना कभी देखा है
इतना सुन राधा ने 
अपना नाम पता बतलाया है
जिसे सुन यशोदा का
ह्रदय हर्षाया है
तुम्हारी माँ बड़ी कुलवंती हैं 
तुम बृष भानु लली हो 
कह मैया ने गले लगाया है
और मन में ये ख्याल उतार आया है
कितना अच्छा हो 
मेरे मोहन से इसका विवाह हो
फिर मैया ने श्यामा जी का 
श्रृंगार किया है
और गहने कपडे पहना
मेवा मिठाई तिल चावली 
गोद में डाली है
और कान्हा के साथ 
खेलने की आज्ञा दी है
उन दोनों को खेलते देख
मैया वारी वारी जाती  है
और बार बार उन्हें
मोहन संग खेलने को बुलाती है
जब राधा प्यारी श्रृंगार कर
अपने घर को पहुंची है
तब उनकी मैया अचरज में बोली हैं
ये किसने श्रृंगार किया है
तब राधा जी ने बतला दिया
तुम्हारा और बाबा का नाम पूछकर
यशोदा जी ने श्रृंगार किया है
तिल चावली मेवा मिठाई 
दे विदा किया है
घर में घर में बात फ़ैल गयी
यशोदा के मन की बात जान
कीर्ति जी अपने मन की बात कही है
मेरी बेटी दामिनी सो
मोहन प्यारा श्याम घटा सा
दोनों की जोड़ी मन को भाई है
दोनोका विवाह हो जाये
ये बात बृष भानु जी को बताई है
अब राधा प्यारी नित्य
मोहन प्यारे संग खेला करती थीं
प्रीत को रोज नए रंग में रंगती थीं 

क्रमशः ..........

10 comments:

  1. लाजबाब प्रस्तुतीकरण..

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  2. मेरी बेटी दामिनी सो
    मोहन प्यारा श्याम घटा सा

    वाह! ये जोड़ी मन में उतर गई|

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  3. बहुत मनमोहक प्रस्तुति...

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  4. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.

    कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.

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  5. SAHAJ AUR MAN MEIN UTAR JAANE WAALEE PANKTIYAN HAIN .

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  6. बहुत अच्छा, कुछ नई बातें और नये प्रसंग श्रृन्खला को और भी रोचक बना रहे हैं.जय गोपाल कृष्ण............

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  7. जय हो जय हो
    श्याम प्यारे की जय हो.
    राधा दुलारी की जय हो

    राधा श्याम की अमृत लीला का
    रसपान कराने वाली वंदना जी की जय हो.

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