Monday, March 22, 2010

शक्ति का वंदन

शक्ति का
पूजन , अर्चन 
वंदन,श्रृंगार
किया तुमने 
मगर साथ ही
शक्ति का
उपहास, परिहास
खण्डन, मर्दन 
ह्रास ,त्रास 
 और तर्पण भी
किया तुमने
फिर कैसे 
शक्ति के 
उपासक बनते हो
जब शक्ति को ही
शक्ति सा ही 
ना वंदन 
करते  हो
पहले शक्ति का 
महिमामंडन करो
शक्ति का 
अवलंबन बनो
शक्ति का पथ
आलोकित करो
शक्ति का 
संचार करो
शक्ति का 
आवाहन करो
शक्ति को 
नव जीवन दो 
फिर शक्ति स्वयं
बंध जाएगी 
तुम्हारे पूजन ,अर्चन
वंदन, श्रृंगार 
स्वीकार कर पायेगी
शक्ति की शक्ति 
तुम्हें मिल जाएगी 

16 comments:

  1. अच्छा लिखा आपने....."
    amitraghat.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी रचना।

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्ची अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. शक्ति का पथ
    आलोकित करो
    शक्ति का
    संचार करो
    शक्ति का
    आवाहन करो
    शक्ति को
    नव जीवन दो
    फिर शक्ति स्वयं
    बंध जाएगी

    बहुत सुन्दर आह्वान किया गया है शक्ति का!

    ReplyDelete
  5. लिमटी खरेMarch 22, 2010 at 11:17 PM

    mata rani ke jai bahut badiya vandan kiya hai vandna jee ne

    ReplyDelete
  6. लिमटी खरेMarch 22, 2010 at 11:17 PM

    mata rani ke jai bahut badiya vandan kiya hai vandna jee ne

    ReplyDelete
  7. लिमटी खरेMarch 22, 2010 at 11:38 PM

    हम मां का स्‍मरण कर उसकी शक्ति पाना चाहते हैं पर नारी को पूजने से कतराते हैं, कहां से आएगी शक्ति हमारे अंदर सही वंदन किया माता के शक्ति के रूप का वंदाना जी

    ReplyDelete
  8. वंदना जी बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी मगर मै आज कल फैले इस द्वन्द को समझ ही नहीं पा रहा हूँ मैंने तो हमेशा स्त्री को माँ के रूप में ही पाया जो रिश्ता सभी स्वार्थो से ऊपर ही होता है,,,, एक हेलेन राईस की कविता याद आरही है उसकी कुछ लायने देना चाहूँगा
    A Mother's love is something
    that no on can explain,
    It is made of deep devotion
    and of sacrifice and pain,
    It is endless and unselfish
    and enduring come what may
    For nothing can destroy it
    or take that love away . . .
    It is patient and forgiving
    when all others are forsaking,
    And it never fails or falters
    even though the heart is breaking . . .
    It believes beyond believing
    when the world around condemns,
    And it glows with all the beauty
    of the rarest, brightest gems . . .
    It is far beyond defining,
    it defies all explanation,
    And it still remains a secret
    like the mysteries of creation . . .
    A many splendoured miracle
    man cannot understand
    And another wondrous evidence
    of God's tender guiding hand.
    प्रवीण पथिक
    9971969084

    ReplyDelete
  9. वंदना जी ,
    आपने बिलकुल सच कहा है :

    शक्ति का
    अवलंबन बनो
    शक्ति का पथ
    आलोकित करो
    शक्ति का
    संचार करो
    शक्ति का
    आवाहन करो
    शक्ति को
    नव जीवन दो
    फिर शक्ति स्वयं
    बंध जाएगी

    शक्ति की पूजा में कन्या पूजा का विधान भी है ........बहुत सुन्दर !!

    ReplyDelete
  10. umadaa...laajawaab...behtareen....aafareen...

    cheers
    surender!

    ReplyDelete
  11. bahut khub ...
    bahut marmshparshi rachna.....
    nari ko samrpit rachna...
    ham Maa ke Swaroop ko to pujte hai..shakti ke roop mai....
    magar aaj ke adhunik yog mai uske asli astitva KNAYA SWROOP KO mitane par tule hue hai....
    bahut sundar likha tumne ki ....
    शक्ति का पथ
    आलोकित करो
    शक्ति का
    संचार करो
    शक्ति का
    आवाहन करो
    शक्ति को
    नव जीवन दो
    फिर शक्ति स्वयं
    बंध जाएगी ...
    tumhari ye rachna padh kar shayad log samjhenge or shakti ka avhaan karenge or uska path alokit karnege...badhyee ...
    ishwar ashish or kamyabi den....aisee hi sundar achnaye hame padhne ko mile or ham sab apni soch ko badal sake...

    ReplyDelete
  12. बहुत बढ़िया और ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!

    ReplyDelete
  13. bahut adbhut........!!sacchhi.....!!gahri.......sach......!!

    ReplyDelete
  14. Meri or se bhi vandana sweekaren vishv ki adhishthatree shakti ka..

    ReplyDelete
  15. iss sundar vichaar k liye badhaai.aise vichaar hi vatavaran banaane kaa kaam karte hai.

    ReplyDelete
  16. अच्छा हुआ आज दोनों किस्त एक साथ पढ़ी. बिलकुल जमाने के नब्ज़ पे हाथ रख दी है, बहुत अच्छी जा रही है कहानी,उत्सुकता बनी हुई है....अगली कड़ी का इंतज़ार

    ReplyDelete