Saturday, May 21, 2011

अब कैसे मिलन हो पाए?







किशोरी जी तुम बिन
चैन ना आये
कान्हा बुलाये
मन भरमाये
तुम बिन चैन ना आये
एक बार दर्शन
करने को
खुद वृन्दावन आये
फिर भी चैन ना आये
तुम्हारे चरणन के दर्शन को
कान्हा भी दौडा आये
प्रेम की गागर
छलक - छलक जाये
प्रीत की रीत
निभा न पाए 
तुम बिन चैन ना पाये
कान्हा तुम बिन
चैन ना पाये
चरण कमल पर 
बलि बलि जाए
फिर भी उॠण
न हो पाए
प्रेम का मोल
कैसे चुकाए
इतना समझ न पाए
किशोरी जी
कान्हा तुम बिन 
चैन न पाए 
तुम्हरे चरणों में
वास करन को
कान्हा भी अकुलाये  
दिव्य प्रेम के 
आगे उसकी
एक न चलने पाए 

किशोरी जी तुम्हरे
दरस बिन
कान्हा अश्रु बहाये
पर तुम बिन 
चैन न पाए
किशोरी जी
तुम बिन कैसे
कान्हा मुरली बजाये 
हर पल तुम्हारे विरह में
तड़प - तड़प जाये
पर तुम बिन चैन ना पाए
विरह अगन की तीव्र वेदना
कान्हा को झुलसाये
जो बीती तुम्हरे जीया पर
वो कान्हा खुद पर
सहता जाये
पर तुम बिन चैन ना पाये
किशोरी जी 
अब कैसे मिलन हो पाए?
दोस्तों 
ये दुर्लभ चित्र मुझे फ़ेसबुक पर कल मिला
तो सोचा आप सबको भी 
इसके दीदार कराऊँ
और मन मे जो भाव जागृत हुये
वो आपसे साझा कर रही हूँ 
उम्मीद है पसंद आएगा

39 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना कान्हा के मन को चित्रित कर दिया है

    ReplyDelete
  2. Prem me virah kn adbhut dhan se byan kiya hai.,
    jai hind jai bharat

    ReplyDelete
  3. किशोरी जी तुम बिन
    चैन ना आये
    कान्हा बुलाये
    मन भरमाये
    तुम बिन चैन ना आये
    एक बार दर्शन ...मन मुग्द्ध हो उठा

    ReplyDelete
  4. चित्र तो सच मे दुर्लभ है\ सुन्दर रचना। बधाई।

    ReplyDelete
  5. जाने क्यों राधा के लिए कान्हाजी की इस विरह वेदना को देखकर मीरा की याद आ गई.. भाव भीनी भक्ति पूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  6. सुंदर चित्र से उद्दीप्त भावों से लिखी कविता सुंदर बन पड़ी है.

    ReplyDelete
  7. वंदना जी चित्र बेहद बेहद पसंद आया
    और आपकी भाव और भक्ति से पूर्ण अभिव्यक्ति
    का भी कोई जबाब नहीं.
    आपके राधाजी के चरणों में रम रहें हृदय
    को हार्दिक नमन.

    आपने मेरी पोस्ट को 'चर्चा मंच' में शामिल किया इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार.
    परन्तु,मुझे आपके निर्मल सुविचारों की आनंद
    वृष्टि की अत्यधिक अपेक्षा है.कृपया,अनुग्रहित कीजियेगा.

    ReplyDelete
  8. sunder rachna sunder abhivyakti...

    ReplyDelete
  9. Kanha ke haath mein Radha ka paanv,
    jaise kari dhoop mein sheetal chhanv.

    kya tasveer hai ...mera kalakar man bag bag ho gaya aur uspe ye kavita jaise tasveer bol uthi.Bahut badhiya Vandanaji.

    ReplyDelete
  10. इस प्यार का आनंद दुर्लभ है ....शुभकामनायें आपको !!

    ReplyDelete
  11. भक्ति में समर्पण की भावना से ओत-प्रोत सुन्दर रचना!
    जय श्री कृष्णा!

    ReplyDelete
  12. प्रेम के आगे किसकी चलती है...
    सुंदर रचना...

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  14. भक्तिमयी, भावमयी रचना।

    ReplyDelete
  15. राधे राधे राधे , बरसाने वाली राधे .....भजन सरीखा आनंद आया जी ..जय हो मुरली मनोहर कृष्ण की जय

    ReplyDelete
  16. कृष्ण के हस्तकमल पर राधाजी के पैर बहुत सुन्दर चित्र चुना आपने और फेसबुक से लाकर अपने पाठकों को दर्शन कराने के लिये धन्यवाद । यदि इस भजन को लयवध्द किया जाये तो अति आनन्द दायक होसकेगा गाने वालों के लिये और श्रोताओं को भी

    ReplyDelete
  17. भाव भीनी भक्ति पूर्ण रचना|धन्यवाद|

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर भाव !

    ReplyDelete
  19. चित्र में छिपे गहन दर्शन को समझाने के लिए साधुवाद...

    ReplyDelete
  20. गीत के भाव अधिक सुन्दर हैं या सम्बन्धित चित्र । वास्तव में दोनों ही बेजोड लग रहे हैं ।

    ReplyDelete
  21. वाकई चित्र बहुत उम्दा है और रचना भी सुन्दर बन पड़ी है.

    ReplyDelete
  22. तुम बिन चैन ना आये ..
    मनोहारी चित्र और कविता ने मन मोह लिया ...
    बहुत सुन्दर !

    ReplyDelete
  23. वंदना जी बहुत सुन्दर चित्र .. कृष्ण की राधा के प्रति समर्पण का उद्दात्त रूप है यह चित्र और उतनी ही सुन्दर है आपकी कविता... काश इस समर्पण को हम समझ पाते आज ... बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  24. बहुत ही सुंदर...प्रेम की अनूठा उदाहरण....

    ReplyDelete
  25. बहुत सुंदर वंदना जी..बहुत ही प्यारा और वाकई दुर्लभ चित्र और रचना भी उतनी ही प्यारी....

    ReplyDelete
  26. bahut hi sunder bhav luye krisna radha ke prem ko darsaati bhav poorn rachanaa.badhaai aapko.itanaa sunder chitra ki najaren nahi hat rahi.thanks aapka.


    please visit my blog and leave the comments also.

    ReplyDelete
  27. बहुत खूब वन्दना जी ;...दूर की कोडी कहाँ से ले आई

    ReplyDelete
  28. वाकई चित्र तो दुर्लभ है ही और कान्हा और राधा के प्रेम को जैसे उकेरा है. सारा वातावरण कृष्णमय हो गया. .

    ReplyDelete
  29. ईश्वर की महिमा और भक्ति भाव से ओत प्रोत है आप की रचना। चित्र तो सच मे दुर्लभ है……. धन्यवाद

    ReplyDelete
  30. जैसा फ़ोटो, वैसी ही बेहतरीन रचना,

    ReplyDelete
  31. अच्छी लगीं ये पंक्तिया. इस हेतु आपको साधुवाद.

    ReplyDelete
  32. अच्छी लगीं ये पंक्तिया. इस हेतु आपको साधुवाद.

    ReplyDelete
  33. बहुत ही सुंदर रचना .

    ReplyDelete
  34. यदि कोई गा के सुनाता तो इस रचना का पूरा आनंद ले पाते.

    ReplyDelete
  35. ईश्वर की महिमा और भक्ति भाव से ओत प्रोत रचना| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  36. वंदना जी ...इस बेचैनी पर दुनिया भर का चैन न्योछावर ....ये बेचैनी मिल जाये तो कहने ही क्या ! बहुत खूब !

    ReplyDelete
  37. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ

    ReplyDelete