Sunday, May 15, 2011

तेरी मोहिनी मूरत
श्यामल सूरत
कुण्ड्ल की छवि
नैनो का आलोक
दीवाना कर गया
श्याम मुझे ज़माने से
बेगाना कर गया

मीरा सी तडप लाऊँ कहां से

राधा सा प्रेम पाऊँ कहाँ से
तेरी जोगन तो बन जाऊँ
पर तुझे रिझाऊँ कहाँ से
बोल ना कान्हा
अब तुझे पाऊँ कहाँ से

एक बार आ जा कान्हा

सीने से लगा जा कान्हा
ह्र्दय पीर मिटा जा कान्हा
मुझे अपना बना जा कान्हा

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