Thursday, April 1, 2010

ये किस मोड़ पर ?.............भाग 2

गतांक से आगे ....................
निशि उस दिन जैसे ही कंप्यूटर पर चैट करने बैठी तो एक शख्स बार- बार उससे बात करने की कोशिश करने लगा  . निशि के मना करने पर भी वो नही माना तो निशि ने सोचा चलो जब चैट  ही करनी है  तो इससे भी बात कर ही ली जाये ताकि इस शख्स को भी चैन आये और वो भी आराम से बात कर सके अपने दोस्तों से.अब निशि उस शख्स यानि मनोज से मुखातिब हुई. दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. मनोज ने सबसे पहले तो निशि के सौंदर्य पर एक खूबसूरत कविता लिखी जिसे पढ़कर निशि आनंद विभोर हो उठी. निशि की सबसे बड़ी कमजोरी पर ही मनोज ने हाथ रख दिया था. उसके बाद तो जैसे निशि की ज़िन्दगी ही बदलने लगी थी. मनोज रोज निशि के सौंदर्य पर कोई ना कोई नयी कविता उसे सुनाता और उसके बाद निशि के सौंदर्य की जी भर कर तारीफ करता .निशि ख़ुशी से फूली ना समाती . धीरे- धीरे दोनों में घनिष्ठता बढ़ने लगी . अब जब तक निशि मनोज से बात ना कर लेती उसे चैन ना आता . इसी प्रकार रोज दोनों बतियाते . मनोज भी निशि को खुश करने में कोई कोर -कसर ना छोड़ता . फिर एक दिन मनोज ने निशि से अपने प्रेम का इजहार किया तो निशि तो जैसे इसी दिन के इंतज़ार में बैठी थी उसने किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकार नही किया . उसने एक बार भी अपनी गृहस्थी , अपने पति और बच्चों के बारे में नही सोचा. इस वक़्त तो उसे हर तरफ मनोज ही मनोज दिखाई देता था. पति के पास होकर भी वो ख्यालों में मनोज के साथ होती थी. मनोज का वजूद पूरी तरह उसके दिल-ओ-दिमाग पर हावी हो चुका था. १६ साल की लड़की  जैसी उमंगें फिर जवान होने लगी थी. पल- पल खुद को आईने में निहारा करती .अपने सौंदर्य में जरा सी भी कमी ना  होने देती और भी बन सँवर कर रहती क्यूंकि  अब निशि के ख्वाबों -ख्यालों में सिर्फ एक ही तस्वीर होती . घर के काम तो वो यंत्रचालित मशीन की तरह जल्दी -जल्दी निबटा देती और फिर जल्दी से सबके जाते ही कंप्यूटर पर या फिर फ़ोन पर मनोज से बात करने लगती. . दोनों ने एक -दूसरे को अपना नंबर भी दे दिया था बस मिले नही थे क्यूंकि मनोज काफी दूर किसी दूसरे शहर में रहता था इसलिए मिलना तो ना हो पाया मगर मनोज के बिना एक -एक पल उसे काटने को दौड़ता. निशि को लगता कि बस मनोज उसके सौंदर्य की शान में कसीदे पढता रहे और वो सुनती रहे. धीरे- धीरे मनोज के प्रेमापाश में निशि इस कदर बंध गयी कि अब उसे लगने लगा कि मनोज के बिना वो जी नहीं पायेगी इसलिए एक दिन उसने मनोज से कहा कि अब वो उसके बिना नहीं रह सकती इसलिए अब उन्हें मिलना चाहिए और भविष्य के बारे में तय करना चाहिए कि अब आगे क्या करना है? कहाँ रहना है ? कैसे अपने सपनो को पूरा करना है?इतना सुनते ही मनोज तो ऐसा हो गया जैसे काटो तो खून नही. उसने तो सोचा ही नहीं  था इस नज़रिए से. वो तो सिर्फ निशि की भावनाओं से खेल रहा था और अपने पौरुष को संतुष्ट कर रहा था . पहले तो मनोज ने समझाना चाहा कि उसकी भी गृहस्थी है घर परिवार है बच्चे हैं और वो उन्हेंतो नहीं छोड़ सकता इसलिए जैसे चल रहा है वैसे ही चलने दिया जाये कम से कम दोनों एक दूसरे के साथ तो हैं मगर निशि तो कुछ भी सुनने के लिए तैयार ना थी . उसे तो लगता था जैसे सारे संसार में एक मनोज ही है जो उसे चाहता है. वो तो मनोज के इरादों से अनभिज्ञ उसके प्यार में पूरी तरह पागल हो चुकी थी. जब मनोज को लगा कि ये बला तो गले ही पड़ रही है तो वो धीरे- धीरे निशि से कटने लगा. निशि के फ़ोन करने पर उसे जवाब देना उसने बंद कर दिया और ना ही चैट पर सामने आता. कभी गलती से नेट पर सामना हो जाता तो फ़ौरन चला जाता. इस अप्रत्याशित व्यवहार से निशि बौखला  गयी . उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे , कैसे मनोज से मिले? वो अपनी हर भरसक कोशिश करने लगी मगर जब मनोज ने उससे पूरी तरह किनारा कर लिया तो इस आघात को निशि सहन नहीं कर पाई ......................
 क्रमशः .....................


6 comments:

  1. are bhai dil ke dhadkane na badhaeye jalde se poore ke poore dal dejeyega

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  2. कहानी बहुत रोचक है!
    जमाने की दुखती रग को आपने अपनी कहानी में बहुत खूबी से ढ़ाला है!
    आगे देखते हैं कि दोनों के भरे-पूरे घर में क्या तूफान आता है!

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  3. कहानी बेहद उत्तम है...
    आगे की कहानी का इंतज़ार रहेगा...
    मीत

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  4. इसी लिए गुणी-ज्ञानियों ने कहा है कि भावनाओं पर काबू रखना चाहिए अन्यथा निशि की तरह पछताना पडेगा.... अगली कड़ी का इंतज़ार !

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  5. अच्छा हुआ आज दोनों किस्त एक साथ पढ़ी. बिलकुल जमाने के नब्ज़ पे हाथ रख दी है, बहुत अच्छी जा रही है कहानी,उत्सुकता बनी हुई है....अगली कड़ी का इंतज़ार

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