Wednesday, April 28, 2010

एक सत्य ---------५० वीं पोस्ट

प्यार
इश्क 
मोहब्बत
प्रेम 
सब 
कर 
लिया
मगर 
फिर
भी 
खुदा
ना मिला 
जब 
खुद 
को
नेस्तनाबूद 
किया
 तब
"मैं "
ना 
मिला
बस 
"खुदा "
ही 
था 
वहाँ

19 comments:

  1. bhut sachhi baat kahi aapne jab tak mai ka saarajy rahta hai uska abhaas hota hai aur jab mai khatm hota hai uska ki vaas dikhta hai
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....

    ReplyDelete
  3. सोलह आने सही "अहम्" ख़त्म तो इंसान क्या ईश्वर से सरोकार भी संभव है

    ReplyDelete
  4. इस परम सत्‍य के लिए आभार.

    50 वीं पोस्‍ट की शुभकामनांए.

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब वंदना जी , और फिर ऐसा खुदा किस काम का ?

    ReplyDelete
  6. हा हा हा बहुत खूब क्‍या बात कही है बिल्‍कुल सोलह आने सत्‍य, बधाई

    ReplyDelete
  7. Vandana, bahut achhee,gahan rachna hai..aur yah meelka patthar..50...mubarak ho!

    ReplyDelete
  8. सुन्दर भाव.....इस " मैं " को ही तो खतम करना बहुत मुश्किल है...

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब
    50वी पोस्ट -- इतनी जल्दी
    मुबारक हो

    ReplyDelete
  10. "खुदा "
    ही
    था
    वहाँ


    सत्य का बोध कराती रचना!
    50वीं पोस्ट के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  11. वाह.. क्‍या बात है वन्‍दना जी । आपने तो आज बहुत सुन्‍दर रहस्‍यवादी कविता कह दी जो बहुत ही अच्‍छी लगी । बधाई और साधुवाद ।।

    ReplyDelete
  12. अपने भीतर का सत्य खोज पाना आसान नहीं....और इसे बाहर खोज लेना मुमकिन ही नहीं.
    ५० वीं पोस्ट की बधाई............लेखन को और पचासे प्रदान करें....
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

    ReplyDelete
  13. अति सुन्दर सत्य का बोध कराती एक अद्दभुत रचना

    http://athaah.blogspot.com/

    ReplyDelete
  14. ५० वीं पोस्ट की बहुत बधाई और नेक शुभकामनाएँ. जल्द ऐसे ही बेहतरीन रचनाओं के साथ शतक पूरा करें.

    ReplyDelete
  15. जो पार है
    परे है
    परात्पर है
    वह क्या है ?
    सब कुछ पा लेने के बाद
    मिलता है
    सब कुछ दे देने के बाद ।
    वन्दना जी आपने असीम को छू लिया रचना मे ।

    ReplyDelete