Monday, March 7, 2011

कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी
तेरे प्रेम मे
मै जोगन बन जाऊँगी

श्याम प्यारे मोहन प्यारे
रटती रही नाम तुम्हारे
अब तुम बिन कटते नही
दिन रैन हमारे
इक बार आ जाओ
मोहन प्यारे
गले से लगा जाओ
श्याम सखा रे
कान्हा कान्हा
मै जोगन बन जाऊंगी


कर में लेकर इकतारा
प्रेम दीवानी मीरा बन जाऊँ
श्याम नाम की रटना लगाऊं
श्याम धुन में हो मतवाली
गली गली नाचूं
बन श्याम दीवानी
कान्हा कान्हा
मैं जोगन बन जाउंगी



14 comments:

  1. भक्ति रस से सराबोर रचना ...

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  2. वाह ! वाह ! वंदनाजी भक्ति रस से सराबोर कर दिया.चलिए सब मिल के गायें

    "श्याम नाम की रटना लगाऊं
    श्याम धुन में हो मतवाली
    गली गली नाचूं
    बन श्याम दीवानी
    कान्हा कान्हा
    मैं जोगन बन जाउंगी"
    शुद्ध भक्ति-रस आ जाये जीवन में ,तो सफल ही हो जाये ये जीवन.

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  3. भक्ति और प्रेम में सरोबार रचना... आज विश्व महिला दिवस पर प्रेम और भक्ति का समन्वित रूप आपकी कविता को खास बना रही है.. बहुत बढ़िया...

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  4. वाह आज तो भजन का रुप दे दिया आप ने इस रचना को, बहुत सुंदर

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  5. भक्तिपूरित अभिव्यक्ति।

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  6. आध्यात्मिक अभिव्यक्ति।

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  7. सुन्दर मासूम प्रस्तुति , बेहद अच्छी लगी ।

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  8. वैसे यदि इसका शीर्षक - " जोगन बन जाउंगी , कान्हा तोरे कारण " हो तो कैसा रहे ?

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  9. उसका तो वैसे भी हर कोई दीवाना है ... आपने भी अपने अंदाज़ से उसे याद किया है ... जय श्री कृष्ण ...
    .

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  10. भक्ति रस से सराबोर बहुत सुंदर
    रचना ...

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  11. श्रीकृष्ण :शरणम मम :

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  12. मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं मिला और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने! बढ़िया लगा!

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  13. वाह..क्या खूब लिखा है आपने।

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