Sunday, September 30, 2012

मेरे घर श्याम आ गये

सुना है जब किसी संत का घर मे आगमन होता है तो बस वो ही क्षण पावन होता है और इस कलिकाल मे वो संतों के रूप मे ही पधारते हैं।बस आनन्दविभोर करने वाले क्षण थे ।सात दिन कहाँ और कैसे गुजरे पता ही नही चला ।शायद यही ईश्वर की असीम अनुकम्पा होती है ।(23 सितम्बर - 30 सितम्बर श्री मद भागवत सप्ताह )  और जब महाराज श्री का आगमन हुआ तो बस यूँ लगा जैसे वो कन्हैया ही इस रूप मे आ गया है फिर भावों का उदय तो होना ही था इस रूप मे …………


मेरे घर श्याम आ गये
मेरे घनश्याम आ गये
अपनी मोहिनी छटा बिखरा गये
मेरे घर श्याम आ गये

श्याम जब आये संग सखियाँ भी लाये

मेरे बृजमंडल मे आनन्द छाये
चहुँ ओर मंगल ध्वनि बिखराये
सबके साथ रास रचा गये
मेरे घर श्याम आ गये

विदुरानी सम भोग लगाये

शाक रज - रज कर खाये
मुरली भी मधुर सुनायें
प्रेम की हर रीत निभा गये
मेरे घर श्याम आ गये

बतियाँ कैसी मधुर बनायें

पल मे हँसायें पल मे बहलायें
सबको अपना दीवाना बनायें
हाथ पकड मधुबन मे नचा गये
मेरे घर श्याम आ गये………

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