Sunday, August 26, 2012

है ना अचरज ...........

मेरे पास
कुरान की आयतें नहीं
जो बांच सकूँ
गीता का ज्ञान नहीं
जो बाँट सकूँ
शबरी के बेर नहीं
जो खिला सकूँ
मीरा का प्रेम नहीं
जो रिझा सकूँ
राधा सा समर्पण नहीं
जो अपना बना सकूँ
फिर भी तुम अपना बना लेते हो
है ना अचरज ...........मोहन !

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