Tuesday, August 7, 2012

मेरी अँखियाँ हैं नीर भरी



मेरी अँखियाँ हैं नीर भरी
बिहारी जी अब क्या और अर्पण करूँ
मेरी अँखियाँ ......................

सुना है तुम हो दया के सागर
फिर क्यों रीती मेरी गागर
मेरी तो आस है तुम्ही से बंधी
बिहारी जी अब क्या और अर्पण करूँ
मेरी अँखियाँ .......................

दरस को अँखियाँ तरस गयी हैं
बिन बदरा के बरस रही हैं
और कैसे मैं तुम्हें प्रसन्न करूँ
बिहारी जी अब क्या और अर्पण करूँ
मेरी अँखियाँ.....................

सुना है तुम हो श्याम सलोना
मेरे मन में क्यूँ ना बनाया घरौंदा
अब कैसे मैं धीर धरूँ
बिहारी जी अब क्या और अर्पण करूँ
मेरी अँखियाँ ....................

जन्म जन्म की मैं हूँ प्यासी
तेरे चरनन की मैं हूँ दासी
मेरी बारी ही क्यों देर करी
बिहारी जी अब क्या और अर्पण करूँ
मेरी अँखियाँ हैं नीर भरी.............

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