Tuesday, October 30, 2012

मेरे आंसुओं की धडकन पर
जो तुम थिरक थिरक जाओ
मेरे सांसों की सरगम पर
जो तुम मचल मचल जाओ
सच कहती हूँ ……मोहन
मैं मिट मिट जाऊँ
मैं हुलस हुलस जाऊँ
मैं……मैं ना रहूँ
बस तुम ही तुम बन जाऊँ




पूनम की रात ने डेरा लगाया
देख शरद का चाँद खिलखिलाया
मेरे ह्रदय मे महारास नित हो रहा
बस श्याम ही श्याम चहूँ ओर दिख रहा

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