Thursday, October 4, 2012

यूँ ही नही गोपियों का दिल धडका होगा



यूँ ही नही गोपियों का दिल धडका होगा
यूँ ही नही राधा का मन अटका होगा
यूँ ही नही श्याम छवि का जादू चला होगा
जब सुन्दरता, आकर्षकता , मनमोहकता
शब्दों का उदभव ही तुमसे हुआ है
और तुम से जुड कर ही इन शब्दों की महत्ता है
फिर भला क्यूँ ना श्यामल चितवन मन को मोहेगी
फिर कैसे नहीं मधुर मुस्कान मन को हरेगी
फिर कैसे नहीं मुरली मधुर मन मंदिर में बजेगी
विरह वेदना अश्रुओं में बह रही है
तुम्हारे दरस को नेत्र चातकी तरस रही है
ओह श्याम ..........सुध बुध यूँ बिसराओ ना
या तो दरस दिखा दो
या यूँ तरसाओ ना
मेरी पीड़ा अब और बढाओ ना ............
श्याम अब तो आ जाओ ना .............आ जाओ ना प्यारे !!!!!

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