Thursday, October 4, 2012

मेरे सांवलिया सरकार



मेरे सांवलिया सरकार
लो आ गयी मै तेरे द्वार
ज़रा द्वार कृपा को खोल दो स्वामी
मेरे मन प्राण अन्तर्यामी
हे जगदाधार
मेरे सांवलिया सरकार
लो आ गयी मै तेरे द्वार
कुंजन मे तो बहुत ही घूमी
कहीं ना दिखी वो छवि रंगीली
अब आयी हूँ तुम्हरे द्वार
बाँह पकड कर अपना बना लो
प्रेमसुधा मुझे भी पिला दो
ओ मेरे सरताज
अश्रु बिन्दु छलक रहे है
नेत्रों से कैसे बरस रहे हैं
मै चातकी जन्म जन्म की
दरस प्यास अब कर दो पूरी
ओ मेरे जीवनाधार
मेरे सांवलिया सरकार
लो आ गयी मै तेरे द्वार


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