Tuesday, October 30, 2012

निर्मोही !मेरा श्याम कितने रंग बदलता है

निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है
कभी मीरा बन संवरता है
कभी राधा बन हँसता है
यूँ भी कभी अकडता है
बिन माखन ना पिघलता है
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है
पिताम्बरी ओढा करता है
कनेर का फूल लगाया करता है
अधरों पर बांसुरी को
सजाया करता है

अपनी तिरछी चाल से
सबको लुभाया करता है

देख तो सखी
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है
जन्म जन्म की दासी हूँ
उसके दरस की प्यासी हूँ
ये सब वो जाना करता है
फिर भी छुपा फ़िरता है
विरहाग्नि बढाता है
लुकाछिपी का खेल उसे
बहुत भाता है
देख तो सखी
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है


छलिया छल छल जाता है
फिर भी सबको लुभाता है
बस यही रंग तो उसका भाता है
जो उसकी तरफ़ दिल खिंचा खिंचा जाता है
देख तो सखी
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है

बावरिया बनाया करता है
जोग दिलाया करता है
प्रेम का रोग लगाया करता है
देख तो सखि फिर कैसे
इठलाया फ़िरता है
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है



यही तो अदा निराली है
जिस पर हर गोपी बलि्हारी है
कहने से ना चूकती है
वो सिर्फ़ मेरा है
जबकि जानती है बावरी
वो आ तो किसी का नहीं
या फिर सबका है
कैसे कैसे बावरा बना नचाता है
अद्भुत खेल दिखाता है
तभी तो नटवर कहलाता है
देख तो सखि
निर्मोही !मेरा श्याम
कितने रंग बदलता है

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